सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए हाई कोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए मुख्य आरोपी को किया बरी-

सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए हाई कोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए मुख्य आरोपी को किया बरी-

शीर्ष अदालत कि पीठ ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा कि आरोपी अदालत के समक्ष निश्चित रूप से दोषी होना चाहिए, न कि दोषी होने की संभावना होनी चाहिए और दोषसिद्धि निश्चित निष्कर्षों पर आधारित होनी चाहिए। 

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए कहा कि किसी आरोपी के खिलाफ किसी ठोस सुबूत के बिना सह-आरोपित द्वारा कथित रूप से की गई गैर-न्यायिक स्वीकारोक्ति का महत्व नहीं है। पीठ ने कहा कि ऐसी स्वीकारोक्ति के आधार पर किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। मामला प्रेम प्रसंग से जुड़ा हुआ है जिसमें प्रेमी युगल की संदिग्ध मौत हो गई थी।

न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने कहा कि गैर-न्यायिक स्वीकारोक्ति ऐसी स्थिति में बेहद विश्वसनीय होगी जब उसकी पुष्टि करने वाली पुख्ता परिस्थितियां हों और अभियोजन के अन्य सुबूत भी उसकी पुष्टि करते हों।

पीठ ने कहा कि आरोपी अदालत के समक्ष निश्चित रूप से दोषी होना चाहिए, न कि दोषी होने की संभावना होनी चाहिए और दोषसिद्धि निश्चित निष्कर्षों पर आधारित होनी चाहिए, न कि अस्पष्ट अनुमान पर।

अपने फैसले में शीर्ष अदालत ने हत्या के आरोपी को बरी करने का आदेश दिया। आरोपी ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसमें निचली अदालत द्वारा सुनाई गई उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा गया था।

अभियोजन पक्ष के अनुसार इस मामले में एक महिला और पुरुष के बीच प्रेम प्रसंग था, लेकिन महिला के पिता और उसके चाचा इसके खिलाफ थे। दिसंबर 1994 में प्रेमी युगल लापता हो गया और कुछ दिनों बाद दोनों के शव पेड़ से लटके हुए मिले। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक उन्हें मरे हुए आठ-दस दिन हो गए थे और मौत आत्महत्या की ओर इशारा कर रही थी। अभियोजन के मुताबिक, दो दिसंबर, 1994 को आरोपी चंद्रपाल मृत मिले पुरुष को अपने घर ले गया था जहां एक अन्य सह-आरोपी ने उसकी हत्या कर दी। बाद में दो अन्य सह-आरोपियों ने महिला की हत्या कर दी। निचली अदालत ने चारों को हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा सुनाई थी, लेकिन हाई कोर्ट ने बाकी तीन आरोपियों को हत्या के आरोप से बरी कर दिया था।

ALSO READ -  Law Commission Report: क्या भारतीय नागरिक नहीं कर पाएंगे NRI से शादी? लॉ कमीशन ने सौंपी 'वैवाहिक मुद्दों पर कानून' नामक रिपोर्ट, जाने डिटेल में.....

सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य आरोपी को भी रिहा कर दिया है। 

Translate »
Scroll to Top