कर्नाटक हाईकोर्ट Karnataka High Court ने एक वकील की पत्नी और बच्चे को अग्रिम जमानत Anticipatory Bail दे दी है, जिस पर अपने मुवक्किल को फर्जी आदेश Fake Order भेजने का आरोप है।
न्यायमूर्ति राजेंद्र बादामीकर की पीठ ने महिला और उसके बेटे की ओर से दायर याचिका को स्वीकार कर लिया। कोर्ट ने कहा, “याचिकाकर्ता/आरोपी संख्या 2 और 3 को उनकी गिरफ्तारी की स्थिति में जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया जाता है, विधान सौधा पुलिस स्टेशन के अपराध संख्या 44/2022 में, आईपीसी की धारा 420, 465, 468 के तहत दंडनीय अपराध के लिए दर्ज किया गया है। उनमें से प्रत्येक को 1,00,000 (रुपये एक लाख मात्र) की राशि का निजी बॉन्ड भरने और उतनी ही राशि के लिए एक ज़मानतदार पेश करना होगा।”
दर्ज एफआईआर FIR में शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि उसने उच्च न्यायालय में दो मामले दायर किए और वकील को डिमांड ड्राफ्ट, नकद और चेक के माध्यम से 10 लाख रुपये की राशि का भुगतान किया। वकील ने कथित तौर पर उन्हें व्हाट्सएप के माध्यम से अदालती आदेश भेजे, जिसमें उच्च न्यायालय की मुहर के साथ-साथ रजिस्ट्रार के हस्ताक्षर भी थे।
जब शिकायतकर्ता ने वेबसाइट Website चेक की, तो उसे वहां ऑर्डर नहीं मिले। जब उसने वकील से पूछा, तो उसने उसे बताया कि COVID-19 महामारी के कारण कुछ आदेश अपलोड नहीं किए गए हैं। जब उसे संदेह हुआ कि उसे भेजा गया आदेश नकली है, तो वकील ने कथित तौर पर गंदी भाषा में उसके साथ दुर्व्यवहार किया। शिकायत के अनुसार, जब उसने उनसे मामले की फाइलें और भुगतान की गई राशि वापस करने के लिए कहा, तो उन्होंने पैसे वापस नहीं किए।
शुरुआत में, न्यायमूर्ति राजेंद्र बदामीकर की खंडपीठ ने कहा कि यह दिखाने के लिए कोई दस्तावेज/साक्ष्य पेश नहीं किया गया है कि वर्तमान याचिकाकर्ता के खाते में कोई पैसा जमा किया गया था।
हाई कोर्ट ने आगे कहा कि आरोप केवल वकील और उनके परिवार के खिलाफ हैं।
अस्तु अदालत ने याचिकाकर्ताओं को अग्रिम जमानत दे दी।
केस टाइटल – उमा देवी मुरुगेश और अन्य बनाम कर्नाटक राज्य
केस नंबर – सीआरएल याचिका संख्या 2022 का 9966