उच्च न्यायालय ने बार एसोसिएशन के चुनाव के दौरान हुए विवाद में दर्ज FIR को किया रद्द-

Estimated read time 1 min read

दिल्ली उच्च न्यायालय ने द्वारका जिला न्यायालय में बार एसोसिएशन चुनाव के दौरान हुई हाथापाई के सिलसिले में 13 लोगों के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द कर दी है। इस मामले में शामिल पक्षों के बीच समझौते को देखते हुए प्राथमिकी रद्द की गई है।

न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने याचिकाकर्ता-आरोपी द्वारा आश्वासन दिए जाने के बाद प्राथमिकी रद्द कर दी। याचिकाकर्ता-आरोपी ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि वे भविष्य में ऐसा कोई व्यवहार नहीं करेंगे और वे अपने कार्यों के लिए पश्चाताप के तौर पर जुर्माना देने के लिए सहमत हैं।

न्यायालय ने कहा कि, “इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि पक्षकारों ने अपनी स्वतंत्र इच्छा, इच्छा और बिना किसी जबरदस्ती के अपने मतभेदों को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल कर लिया है और कार्यवाही जारी रखने में कोई उपयोगी उद्देश्य पूरा नहीं होगा, यह न्याय के हित में होगा कि उपर्युक्त प्राथमिकी को रद्द किया जाए। विचाराधीन प्राथमिकी को रद्द करने में कोई कानूनी बाधा नहीं है।”

इसके अलावा, अदालत ने याचिकाकर्ताओं पर दो सप्ताह के भीतर द्वारका कोर्ट बार एसोसिएशन में जुर्माना जमा करने को कहा।

न्यायालय ने कहा, “परिणामस्वरूप, पीएस द्वारका दक्षिण, दिल्ली में दर्ज आईपीसी की धारा 323/341/325/308/506/34 तहत प्राथमिकी संख्या 451/2019 और उसके अनुसार कार्यवाही को रद्द किया जाता है, बशर्ते कि याचिकाकर्ता में से प्र्त्येक एक-एक हज़ार रुपए का जुर्माना जमा करे या सभी मिलकर एक साथ के साथ 13 हज़ार रुपए जमा करवाएं। यह जुर्माना दो सप्ताह के भीतर भारतीय स्टेट बैंक में द्वारका कोर्ट बार एसोसिएशन खाते में जमा करवाए जाएं।

ALSO READ -  राष्ट्रपति ने कर्नाटक उच्च न्यायलय में 10 एडिशनल जजों को स्थायी जज किया नियुक्त, उच्च न्यायलय में भी होगी 8 न्यायाधिशों की नियुक्ति-

जांच अधिकारी ने अदालत को अवगत कराया कि आईपीसी की धारा 325, जो स्वेच्छा से गंभीर चोट पहुंचाने के लिए सजा का प्रावधान करती है,उसके अनुसार कार्रवाई की गई थी, क्योंकि उक्त विवाद में शिकायतकर्ता का एक दांत टूट गया था।

यह भी बताया गया कि इसी प्रकार धारा 308 के तहत भी का आरोप लगाया गया था क्योंकि एक आरोपी के पास कथित तौर पर लोहे का एक उपकरण था।

प्रतिवादी शिकायतकर्ताओं ने न्यायालय को यह भी बताया कि उनके और याचिकाकर्ताओं के बीच के 6 मार्च, 2021 के एक समझौता ज्ञापन के माध्यम से मामले को सुलझा लिया गया है।

उक्त के आलोक में न्यायालय द्वारा प्राथमिकी निरस्त कर दी गई।

केस टाइटल : विकास बदेसरा और अन्य बनाम राज्य और अन्य।

You May Also Like