Cji Nv Ramanna

यदि हमें सभी जनहित याचिकाएं ही सुननी है, तो हमने सरकारें क्यों चुनी: चीफ जस्टिस

अवैध रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों को खदेड़ने की याचिका की जल्द सुनवाई की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने याची को निर्वाचित सरकार के पास जाने की नसीहत दी।

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को शासन से संबंधित मामलों पर जनहित याचिका (PIL) याचिकाओं पर विचार करने के संबंध में अपनी आपत्ति व्यक्त की।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एनवी रमण ने मामले पर जल्द सुनवाई के उल्लेख पर टिप्पणी करने के दौरान याची अश्वनी उपाध्याय से पूछा कि हर दिन हमें सिर्फ आपका केस ही सुनना होता है। कभी चुनाव सुधार, संसद, जनसंख्या नियंत्रण जैसी तमाम समस्याओं को लेकर आप अदालत आते हैं।

याची अश्वनी उपाध्याय ने कहा कि अवैध प्रवासियों द्वारा यहां के लोगों का हक छीना जा रहा है। अवैध प्रवासियों द्वारा यहां की करोड़ों नौकरियां छीनी जा रही हैं। इससे यहां के लोगों की आजीविका के अधिकार पर भी असर पड़ रहा है।

चीफ जस्टिस ने कहा कि यह राजनीतिक मुद्दे हैं। इन्हें सरकार के समक्ष उठाइए। अगर हमें आपकी सभी जनहित याचिकाओं पर विचार करना ही है तो हमने सरकार क्यों चुनी। इस प्रकार के मुद्दों पर विचार करने के लिए राज्यसभा और लोकसभा जैसे सदन हैं।

अश्वनी उपाध्याय ने कहा कि उनकी इस याचिका पर पिछले साल मार्च में नोटिस जारी किए गए थे लेकिन अब तक मामले में कोई प्रगति नहीं हुई है। गौरतलब है कि अनी उपाध्याय की जनहित याचिकाओं का सुप्रीम कोर्ट में तांता लगा हुआ है। वह भाजपा के स्थानीय नेता भी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अवैध रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों का पता लगाने तथा उनके निर्वासन की मांग वाली एक जनहित याचिका पर केन्द्र सरकार की ओर से जवाबी हलफनामा पेश किए जाने के बाद इस मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करेगा।

ALSO READ -  सिर्फ इद्दत में ही नहीं, तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को मिले जीवन भर भत्ता, इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

चीफ जस्टिस (CJI) एनवी रमण की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच ने याचिकाकर्ता वकील की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई की गुहार इस टिप्पणी के साथ स्वीकार की कि केंद्र सरकार की ओर से जवाबी हलफनामा पेश किए जाने के बाद इस मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा। याचिकाकर्ता ने विशेष उल्लेख के दौरान जल्द सुनवाई की गुहार लगाई थी। सीजेआई ने अदालत कक्ष में मौजूद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से सरकार के जवाब के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि उन्हें मामले की जानकारी नहीं है। अदालत ने उनसे कहा कि अगर आपके पास जवाबी हलफनामा तैयार है, तो हम मामले को सूचीबद्ध कर सकते हैं।

उन्होंने बताया कि जनहित याचिका 2017 में दायर की गई थी। इस मामले में 26 मार्च 2021 को नोटिस जारी किए गए थे।

याचिका में कहा गया है, “कुल 5 करोड़ घुसपैठिए अपनी जातीय समानता और भारत के लोगों के साथ अन्य संबंधों का फायदा उठाकर अवैध रूप से भारत में रह रहे हैं।”

याचिका में केंद्र और राज्य सरकारों को एक साल के भीतर बांग्लादेशियों और रोहिंग्या लोगों के साथ-साथ सभी अवैध प्रवासियों और घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें हिरासत में लेने और निर्वासित करने का निर्देश सरकार को देने की मांग की गई है।

Translate »
Scroll to Top