इलाहाबाद हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय: नोटिस पर डिजिटल सिग्नेचर करने भर से उसे जारी नहीं माना जा सकता-

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Notice जारी होने के लिए पेपर या इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के माध्यम से आयकरदाता को नोटिस भेजा जाना जरूरी-

इलाहाबाद हाईकोर्ट Allahabad High Court ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि नोटिस Notice पर डिजिटल हस्ताक्षर Digital Signature करने भर से उसे जारी नहीं माना जा सकता। जारी होने के लिए पेपर या इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के माध्यम से आयकरदाता को नोटिस भेजा जाना जरूरी है।

कोर्ट ने 31 मार्च को डिजिटल हस्ताक्षर किए जाने के बाद छह अप्रैल को ई मेल करने पर नोटिस को काल बाधित करार दिया है और आयकर अधिकारी के आदेश को विधि सम्मत न मानते हुए रद्द कर दिया है।

कोर्ट ने कहा कि यदि नोटिस पर डिजिटल हस्ताक्षर करते ही उस पर अधिकारी का नियंत्रण नहीं रह जाता, तो हस्ताक्षर करने की तिथि व समय वही माना जाएगा लेकिन इसे जारी किया गया नहीं माना जाएगा।

न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी एवं न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने यह आदेश दाऊजी आभूषण भंडार की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। कंपनी का कहना था कि वह नियमित रूप से आयकर रिटर्न Income Tax Return दाखिल करती है। वर्ष 2013-14 में भी रिटर्न दाखिल किया। कानून के मुताबिक आयकर विभाग रिटर्न से संतुष्ट नहीं है तो मूल्यांकन वर्ष Assessment Year के भीतर नोटिस जारी कर सकता है लेकिन अवधि बीत जाने के बाद नोटिस जारी नहीं किया जाएगा।

आयकर विभाग Income Tax Department के अधिवक्ता का कहना था कि नोटिस पर वर्ष के आखिरी दिन यानी 31 मार्च को डिजिटल हस्ताक्षर Digital Signature किए जा चुके थे इसलिए नोटिस समय के भीतर जारी माना जाएगा।

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सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि नोटिस पर केवल हस्ताक्षर करना पर्याप्त नहीं है, उसे समय के भीतर जारी भी किया जाना चाहिए। नोटिस छह अप्रैल को जारी किया गया है, जो समय से जारी नहीं कहा जा सकता। आयकर अधिनियम Income Tax Act की धारा 149 में कहा गया है कि धारा 148 का नोटिस समयावधि बीत जाने के बाद जारी नहीं किया जाएगा।

कंपनी ने आयकर विभाग के नोटिस पर आपत्ति भी की थी कि नोटिस काल बाधित Notice Time Barred है लेकिन उसकी आपत्ति अस्वीकार Objection Rejected कर दी गई, जिसे याचिका में चुनौती दी गई थी।

कोर्ट ने कहा है कि नोटिस पर डिजिटल हस्ताक्षर करने भर से उसे जारी नहीं माना जा सकता। जारी होने के लिए पेपर या इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के माध्यम से आयकरदाता को नोटिस भेजा जाना जरूरी है।

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