राजस्थान हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण आदेश: तलाक को लेकर अब 6 माह से अधिक इंतजार नहीं-

राजस्थान हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि यदि पति – पत्नी आपसी सहमति से तलाक लेना चाहते है तो उसके लिए छह माह तक अलग रहने की शर्त मान्य नहीं होगी।

राजस्थान उच्च न्यायालय ने उदयपुर फैमिली कोर्ट के एक आदेश को अपास्त न करते हुए आदेश दिया है। फैमिली कोर्ट की धारा 13 बी के अन्तर्गत आपसी सहमति से तलाक के लिए छह माह से अधिक इंतजार नहीं करावें। न्यायाधीश दिनेश मेहता की अदालत ने याचिकाकर्ता को पति-पत्नि की ओर पेश याचिका पर यह आदेश दिया है।

राजस्थान हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि यदि पति – पत्नी आपसी सहमति से तलाक लेना चाहते है तो उसके लिए छह माह तक अलग रहने की शर्त मान्य नहीं होगी ।

सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद फैमिली की कोर्ट की ओर से छह माह से अधिक का समय लिया जा ला रहा है। न्यायालय ने यह आदेश पारित किया कि यदि पति पत्नी दोनों अपनी इच्छा से तलाक चाहते हैं तो वह दोनों कोर्ट में मुकदमे लगाने से पूर्व भी यदि 6 महीने 1 साल से अलग रह रहे हैं, तो कोर्ट उनको मुकदमा पेश करने के तुरंत पश्चात निरीक्षण करेगा। अथवा जल्दी से जल्दी दोनों पति पत्नी को अपनी सहमति के पश्चात तलाक करवाएगा।

क्या है पूरा मामला

धरियावद निवासी मोनिका शर्मा की शादी दिसम्बर 2012 में उदयपुर जिला निवासी राहुल शर्मा के साथ हुई थी । शादी के कुछ समय बाद रिश्तों में खटास आना शुरू हो गई । दोनों ने साथ रहने का भरसक प्रयास किया , लेकिन बात नहीं बैठी । आखिरकार वर्ष 2019 से दोनों ने अलग रहने का फैसला किया । इसके बाद से वे अलग – अलग रहने लगे । इस वर्ष 2 अगस्त को दोनों ने उदयपुर के फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी दायर की । इस पर कोर्ट ने उन्हें छह माह पश्चात की तारीख देकर काउंसलिंग के लिए बुलाया । दोनों ने 8 अगस्त को संयुक्त रूप से फैमिली कोर्ट में आवेदन कर छह माह की वैधानिक अवधि को समाप्त करने का आग्रह किया । कोर्ट ने उनके इस आवेदन को खारिज कर दिया । इस पर दोनों की तरफ से हाईकोर्ट में याचिका पेश की गई ।

ALSO READ -  न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की विधि छात्रों को सलाह, बोले- न्यायिक पेशे में नारीवादी सोच को शामिल करें

प्रतापगढ़ के एक तलाक के मामले में उदयपुर फैमिली कोर्ट ने तलाक के लिए छह माह का समय तय किया था । साथ ही तुरंत देने की अर्जी को भी खारिज कर दिया गया। अब हाईकोर्ट ने इस मामले में साफ कहा है कि छह माह का दोनों को समय देना उचित नहीं है। प्रतापगढ़ जिले के धरियावद निवासी मोनिका शर्मा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया कि वह अपने पति उदयपुर जिला निवासी राहुल शर्मा से वर्ष 2019 से अलग रह रही है । दोनों ने आपसी सहमति से उदयपुर की फैमिली कोर्ट में तलाक का आवेदन किया लेकिन हमें छह माह का समय दे दिया गया जबकि हम दोनों इससे काफी पहले से अलग रह रहे है। हाथों हाथ तलाक देने की अपील को फैमिली कोर्ट ने खारिज कर दिया ।

मोनिका के वकील ने कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट पूर्व में एक मामले में छह माह की अवधि तक अलग रहने की अनिवार्यता को हटा चुका है।

रवि पंवार अतिरिक्त राज्य के अधिवक्ता एवं सहायक अधिवक्ता गजेंद्र पंवार की ओर से बहस करते हुए बताया, कि वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए पति पत्नी कितने पढ़े लिखे और समझदार हैं कि वह अपनी चल रही पारिवारिक परेशानी को देखते हुए कोर्ट में लगाई गई 13इ की अर्जी को शीघ्रातिशीघ्र निस्तारण करना चाहते हैं, जिससे वह अपने जीवन का सुचारू रूप से निर्वाह कर सकें।

दोनों पक्ष के तर्क सुनने के बाद न्यायाधीश दिनेश मेहता ने कहा कि छह माह तक अलग रहने की वैधानिक अवधि को यह कोर्ट समाप्त करता है। साथ ही फैमिली कोर्ट को आदेश दिया कि वह इस मामले में पूर्ण वैधानिक तरीके से तलाक की डिक्री जारी कर सकता है।

ALSO READ -  इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि: जमानती अपराधों के मामलों में नहीं दी जा सकती है अग्रिम जमानत-

You May Also Like