NAN scam case : में छत्तीसगढ़ गोवर्नमेंट ने SC से कहा, जमानत के लिए सीएम बघेल ने कभी नहीं की हाई कोर्ट के जज से मुलाकात

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एनएएन घोटाले में कुछ आरोपियों को जमानत दिए जाने से दो दिन पूर्व हाई कोर्ट के एक न्यायाधीश ने सीएम से मुलाकात की थी।

छत्तीसगढ़ गवर्नमेंट Chatishgarh Government ने गुरुवार को शीर्ष अदालत Supreme Court को बताया कि राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कभी किसी हाई कोर्ट के न्यायाधीश से मुलाकात नहीं की है। इसी के साथ सरकार ने पीडीएस घोटाले में उनकी संभावित संलिप्तता के बारे में केंद्र सरकार के एक शीर्ष कानून अधिकारी के दावे को खारिज कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट ‘नागरिक अपूर्ति निगम’ (एनएएन) या सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) घोटाले से संबंधित इस पीएमएलए मामले को राज्य के बाहर स्थानांतरित करने की मांग करने वाली ईडी याचिका पर सुनवाई कर रहा था।

ईडी ED की ओर से सॉलिसिटर जनरल Solicitor General तुषार मेहता ने मुख्यमंत्री के एक कथित करीबी सहयोगी के व्हाट्सएप चैट Whats app Chat का हवाला दिया कि एनएएन घोटाले में कुछ आरोपियों को जमानत दिए जाने से दो दिन पहले एक न्यायाधीश ने सीएम से मुलाकात की थी।

सीनियर अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने गुरुवार को अदालत को बताया कि मुख्यमंत्री कभी भी हाई कोर्ट के किसी न्यायाधीश से नहीं मिले। मेहता ने जवाब दिया, मैंने केवल व्हाट्सएप चैट का जिक्र उल्लेख किया था।

मुख्य न्यायाधीश उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की शीर्ष अदालत की पीठ ने समय की कमी और विशेष पीठ की सुनवाई खत्म करने की अनुपलब्धता के कारण ईडी की याचिका पर आगे सुनवाई करने से इनकार कर दिया और इसे एक सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया।

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आदेश में कहा गया कि हालांकि, हमने पक्षकारों की ओर से अधिवक्ताओं को कुछ समय के लिए उपस्थित होते हुए सुना, लेकिन रिकॉर्ड पर मौजूद तथ्यों और परिस्थितियों और विशेष रूप से इस तथ्य पर विचार करते हुए कि दलीलें एक सत्र में समाप्त नहीं होंगी, मामले को आंशिक सुनवाई से मुक्त किया जाता है।

ईडी और राज्य सरकार द्वारा दाखिल दस्तावेजों को फिर से सील करने का आदेश देते हुए पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री को निर्देश दिया जाता है कि वह सीजेआई से उचित निर्देश लेने के बाद मामले को 14 नवंबर के सप्ताह में एक उपयुक्त पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करे।

मुख्य न्यायाधीश ललित ने कहा कि चूंकि वह अब मामले की सुनवाई नहीं करेंगे, इसलिए वह कोई टिप्पणी नहीं करेंगे।

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