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पूर्व मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा नियुक्ति केस में सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से 10 लाख रुपये जुर्माना वसूलने का दिल्ली पुलिस कमिश्नर को दिया आदेश-

कोर्ट ने कहा, “कमिश्नर तुरंत ऐसा करेंगे और उसके बाद तीन महीने की अवधि के भीतर अनुपालन की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करेंगे।”

पूर्व मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा नियुक्ति केस: सर्वोच्च न्यायलय Supreme Court ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर Delhi Police Commissioner को पूर्व मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा Former Chief Justice Dipak Misra की नियुक्ति को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता पर लगाए गए 10 लाख रुपये के जुर्माने की वसूली सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।

न्यायामूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायामूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने पब्लिसिटी स्टंट के चलते पूर्व मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्री की नियुक्ति को चुनौती दी थी।

शीर्ष अदालत का दिल्ली पुलिस को निर्देश-

सर्वोच्च न्यायलय ने दिल्ली पुलिस को निर्देशित किया जाता है कि वह याचिकाकर्ता द्वारा भू अर्जित राजस्व से जुर्माने की अदायगी करें। अदालत ने पुलिस कमिश्नर को तीन महीने के अवधि के भीतर कदम उठाने और अनुपालन की स्थिति रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल करने का निर्देश दिया। वहीं, कोर्ट ने मामले की आगे की सनवाई के लिए 7 नवंबर को सूचीबद्ध किया है।

न्यायामूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायामूर्ति जेबी पारदीवाला की बेंच ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया कि वह जुर्माने की रकम की वसूली के लिए अदालत के आदेश को विधिवत लागू करें।

याचिकाकर्ता ने अभी तक हीं भरा दस लाख रुपए जुर्माना-

ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट ने 24 अगस्त 2017 को स्वामी ओम (अब मृतक) और मुकेश जैन द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें पूर्व चीफ जस्टिस की नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल उठाए गए थे। सु्प्रीम कोर्ट ने इस याचिका को बकवास और सस्ती लोकप्रियता के लिए दाखिल की गई याचिका करार देते हुए इसे खारिज कर दिया था। साथ ही अदालत ने दोनों याचिकाकर्ताओं पर दस-दस लाख रुपए जुर्माना भी लगाया था। चूंकि अब तक दोनों ने जुर्माना अदा नहीं किया तो कोर्ट ने मुकेश जैन के नाम पर मौजदू उसकी सभी अचल संपत्ति को अटैच करने का निर्देश दिया था।

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याचिकाकर्ताओं में से स्वामी ओम की मृत्यु हो चुकी है। मुकेश जैन पर चार-पांच आपराधिक मामले दर्ज हैं। वर्तमान में वह ओडिशा के कटक शहर में रहते हैं. पिछली सुनवाई में अदालत ने कहा कि उनके भू अर्जित राजस्व से जुर्माने की अदायगी कर दी जाए। साथ ही कोर्ट ने जैन की अचल संपत्ति को अटैच करने का भी आदेश दिया था।

जो पता दिया था, उसपर नहीं मिला जैन-

अपनी याचिका में मुकेश जैन ने दावा किया था कि उसने IIT रुड़की से इंजिनियर (हिंदी मीडियम) की है और एलुमिनियम से जुड़ी फैक्‍ट्री चलाता है। शीर्ष अदालत ने को कटक के जिला और सेशंज जज की रिपोर्ट का संज्ञान लिया जिसमें कहा गया था कि एसपी ने जमानती वारंट इस आधार पर लौटा दिया है कि मुकेश जैन का विस्‍तृत पता नहीं दिया गया था। 25 मई 2022 को एक ऐडिशनल एफिडेविड में जैन ने दिल्‍ली का अपना पता और मोबाइल नंबर बताया।

ऐडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि दिल्‍ली पुलिस के कमिश्‍नर अब अदालत के आदेश का पालन सुनिश्चित कराएंगे। 10 लाख रुपए की रकम को लैंड रेवेन्‍यू के एरियर की तरह रिवकर किया जाना है।

केस टाइटल – स्वामी ओम जी बनाम भारत संघ
केस नंबर – एमए नंबर 753 of 2022

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