मोटर दुर्घटना मुआवजा दावा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि यदि मृतक की स्थायी नौकरी है, तो उसकी आयु 40-50 वर्ष के बीच होने पर वास्तविक वेतन में 30% की वृद्धि की जानी चाहिए

सर्वोच्च न्यायालय ने दोहराया कि यदि मृतक स्थायी नौकरी कर रहा है, तो मृतक की आयु 40 से 50 वर्ष के बीच होने पर वास्तविक वेतन में 30% की वृद्धि की जानी चाहिए।

यह अपील कटक स्थित उड़ीसा उच्च न्यायालय द्वारा 24 अप्रैल, 2023 को एमएसीए संख्या 1168/2016 में पारित अंतिम निर्णय और आदेश की सत्यता पर प्रश्न उठाती है। विवादित निर्णय, जगतसिंहपुर स्थित तृतीय मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण द्वारा 22 अगस्त, 2016 को एमएसी संख्या 301/2010 में पारित निर्णय से उत्पन्न अपील में दिया गया था।

न्यायालय एक अपील पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें तृतीय मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण द्वारा पारित निर्णय से उत्पन्न अपील में उच्च न्यायालय द्वारा पारित अंतिम निर्णय और आदेश की सत्यता पर प्रश्न उठाया गया था।

न्यायमूर्ति सी.टी. रविकुमार और न्यायमूर्ति संजय करोल ने कहा कि भविष्य की संभावनाओं के संबंध में, उच्च न्यायालय ने वास्तविक वेतन के अतिरिक्त 25% लिया है और नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम प्रणय सेठी में संविधान पीठ के फैसले पर भरोसा किया है, जिसके अनुसार न्यायालय ने कहा था, “यदि मृतक स्थायी नौकरी कर रहा है, तो मृतक की आयु 40 से 50 वर्ष के बीच होने पर वास्तविक वेतन में 30% की वृद्धि की जानी चाहिए।” संक्षिप्त तथ्य-

दावेदार-अपीलकर्ता, मृतक बिचित्र नायक की पत्नी और अन्य परिवार के सदस्य, जिनकी मृत्यु एम्बुलेंस-ट्रक टक्कर में हुई थी, मुआवजे की मांग कर रहे थे। मृतक एस्सार स्टील उड़ीसा लिमिटेड में कार्यरत था और 5,000 रुपये प्रति माह कमा रहा था। न्यायाधिकरण ने दावा याचिका को खारिज कर दिया क्योंकि उसने पाया कि ट्रक चालक द्वारा कोई लापरवाही नहीं की गई थी। हालांकि, उच्च न्यायालय ने मुआवजे की पुनर्गणना की और बीमा कंपनियों को 6% ब्याज के साथ 2.05 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया। वर्तमान अपील में दावेदारों का दावा है कि व्यक्तिगत व्यय के लिए कटौती 1/3 नहीं बल्कि 1/4 होनी चाहिए।

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न्यायालय ने पाया कि उच्च न्यायालय ने व्यक्तिगत व्यय के लिए 1/3 कटौती की है, हालांकि मृतक की पत्नी द्वारा उच्च न्यायालय के समक्ष दायर हलफनामे में मृतक पर चार आश्रितों को दर्शाया गया है, इसलिए कटौती 1/4 होनी चाहिए न कि 1/3, जैसा कि उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया है।

उपर्युक्त निर्णय पर भरोसा करते हुए न्यायालय ने अपील स्वीकार कर ली।

वाद शीर्षक – रोजालिनी नायक बनाम अजीत साहू

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