आयकर विभाग ने गुरुग्राम स्थित रियल एस्टेट कंपनी, उसके प्रवर्तकों, निदेशकों ,समूह की अन्य कंपनियों के मामले में आयकर अधिनियम 1961 की धारा 132 के तहत तलाशी शुरू की, जिसमें कुल 20 परिसरों को शामिल किया गया। उक्त कंपनी सड़कों, राजमार्ग, पुल और रनवे निर्माण की विशेषज्ञता वाले सरकारी ठेकों के कारोबार में है। समूह रियल एस्टेट के विकास और आवासीय परिसरों के कारोबार में है।
तलाशी में मुख्य प्रवर्तक और परिवार के सदस्यों के नाम पर साल 2012-13 और 2013-14 में 25 करोड़ रुपये के जाली लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन के प्रमाण मिले हैं, जिस पर कोई कर नहीं चुकाया गया है।
तलाशी से ये भी स्थापित हुआ कि समूह ने कर योग्य आय को घटाने के लिए उप-अनुबंधों के रूप में 100 करोड़ रुपये के बराबर जाली खर्च का दावा किया । ये पाया गया कि उन सभी पक्षों को इन सौदों की कोई जानकारी नहीं थी जिनके नाम पर ये खर्च दिखाया गया और उन्होने खुद के द्वारा ऐसा कोई काम करने से इन्कार किया। 100 करोड़ रुपये की ये रकम समूह कि कंपनियों के पास शेयर पूंजी और शेयर प्रीमियम के रूप में वापस पहुंचा दी गई।
तलाशी अभियान के दौरान आवासीय इकाईयों की बिक्री और संपत्तियों की खरीद में करोड़ो रुपये नकद के भुगतान और प्राप्ति दर्शाने वाले कई कागज और कागजात प्राप्त हुए हैं। बेनामी संपत्तियों के कागजात भी प्राप्त हुए हैं।
अब तक नकद 1 करोड़ रुपये और 14000 अमेरिकी डॉलर मूल्य की विदेशी मुद्रा बरामद और जब्त की जा चुकी है। 15 लॉकर का पता लगाया जा चुका है और उन्हें रोक के तहत रखा गया हैं।
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