न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की वापसी के विरोध में इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकीलों की अनिश्चितकालीन हड़ताल
इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को पुनः इलाहाबाद हाईकोर्ट स्थानांतरित किए जाने के निर्णय के खिलाफ अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की है। यह निर्णय न्यायिक समुदाय में व्यापक असंतोष का कारण बना है, विशेष रूप से तब जब हाल ही में न्यायमूर्ति वर्मा से जुड़े एक विवादास्पद घटनाक्रम की चर्चा तेज हुई है।
अवध बार एसोसिएशन की तटस्थता, हड़ताल केवल इलाहाबाद तक सीमित
फिलहाल, अवध बार एसोसिएशन, लखनऊ बेंच ने इस मुद्दे पर कोई औपचारिक प्रस्ताव पारित नहीं किया है, जिससे यह हड़ताल केवल इलाहाबाद हाईकोर्ट तक सीमित है।
न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा, जो पूर्व में इलाहाबाद हाईकोर्ट में कार्यरत थे, वर्ष 2021 में दिल्ली हाईकोर्ट में स्थानांतरित किए गए थे। हाल ही में होली के दौरान उनके दिल्ली स्थित सरकारी आवास पर जली हुई नकदी मिलने की खबरों ने उन्हें सुर्खियों में ला दिया।
न्यायिक गरिमा व निष्पक्षता पर सवाल, बार एसोसिएशन ने जताई आपत्ति
वकीलों का मानना है कि ऐसे विवादित समय में उन्हें दोबारा इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजना न्यायपालिका की गरिमा और निष्पक्षता को ठेस पहुंचाने वाला कदम है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने इस संदर्भ में कहा:
“हम अपनी अदालत को उन न्यायाधीशों के लिए सुरक्षित स्थान नहीं बनने दे सकते जिन पर आचरण से संबंधित गंभीर शिकायतें हैं। यह हड़ताल यह सुनिश्चित करने के लिए है कि हमारी न्यायपालिका निष्कलंक बनी रहे और विवादों का निपटारा अदालतों में नहीं, बल्कि सक्षम जांच एजेंसियों द्वारा किया जाए।”
हड़ताल का उद्देश्य – ट्रांसफर के फैसले पर पुनर्विचार और न्यायिक पारदर्शिता
वकीलों की यह हड़ताल न्यायपालिका पर दबाव बनाने और न्यायमूर्ति वर्मा के स्थानांतरण के निर्णय पर पुनर्विचार की मांग को लेकर है।
बार एसोसिएशन ने न्यायमूर्ति वर्मा द्वारा पूर्व में दिए गए न्यायिक निर्णयों की समीक्षा की मांग उठाई है और इस पूरे मामले की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसियों की निगरानी की अपील की है।
वकीलों के इस कदम को न्यायपालिका में पारदर्शिता और उच्च नैतिक मानकों को बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है।
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