जजों की नियुक्ति आंख मूंदकर नहीं कर सकते, केंद्र सरकार ने बताई इसकी ये वजह-

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लोकसभा ने ध्वनिमत से कुटुम्ब न्यायालय (संशोधन) विधेयक, 2022 को मंजूरी दे दी। इस विधेयक के जरिए कुटुम्ब न्यायालय अधिनियम 1984 में संशोधन किया जाना है।

जजों की नियुक्ति पर भारत सरकार का एक बड़ा बयान आया है। यह बयान सरकार की तरफ से केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री किरन रिजिजू ने लोकसभा में दिया। रिजिजू ने कहा कि न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए जब कोई नाम हमारे पास आता है तब हम आंख मूंद करके उस पर हस्ताक्षर नहीं कर सकते।

केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री किरन रिजिजू निचले सदन में कुटुम्ब न्यायालय (संशोधन) विधेयक, 2022 पर हुई चर्चा का जवाब दे रहे थे। इस दौरान रिजिजू ने लोकसभा में स्पष्ट किया कि सरकार न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति में कोई विलंब नहीं करती; लेकिन कोई नाम आने पर हम आंख बंद करके हस्ताक्षर नहीं कर सकते। अगर हमने किसी नियुक्ति के मामले में हस्ताक्षर नहीं किया तब इसका वाजिब कारण होता है।

न्याय मंत्री किरन रिजिजू ने कहा कि कहा कि सरकार के पास जांच परख करने का एक तंत्र है जो सुप्रीम कोर्ट के पास नहीं है। इस तंत्र से पृष्ठभूमि के बारे में पता लगाया जाता है। उन्होंने कहा कि सरकार न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति में कोई विलंब नहीं करती और ‘‘हमारा मन साफ है’’।

रिजिजू ने कहा कि जब से वह विधि मंत्री बने हैं तब से रिकार्ड संख्या में न्यायाधीशों की नियुक्ति हुई है और इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी स्पष्ट निर्देश है। मंत्री के जवाब के बाद लोकसभा ने ध्वनिमत से कुटुम्ब न्यायालय (संशोधन) विधेयक, 2022 को मंजूरी दे दी। इस विधेयक के जरिए कुटुम्ब न्यायालय अधिनियम 1984 में संशोधन किया जाना है।

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किरन रिजिजू ने कहा कि बहुत जल्दी वे कुटुम्ब अदालतों के विषय की समीक्षा करने वाले हैं। उन्होंने कहा कि 30 जुलाई को जिला न्यायाधीशों का एक सम्मेलन बुलाया गया है जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत के प्रधान न्यायाधीश शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन में परिवार अदालतों से जुड़े विषय रखे जाएंगे।

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