जस्टिस पुष्पा वी.गनेडीवाला: ‘स्किन-टु-स्किन कॉन्टैक्ट’ वाला फैसला देने वाली नहीं बनेंगी स्थायी जज, SC कॉलेजियम का फैसला, रुका प्रमोशन-

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18 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि बच्चों के खिलाफ यौन अपराध के लिए स्किन टू स्किन कॉन्टेक्ट जरूरी नहीं है. स्किन टू स्किन कॉन्टेक्ट के बिना बच्चों के नाजुक अंगों को छूना POCSO Act के तहत यौन शोषण होगा . यौन उद्देश्य से बच्चे के यौन अंगों को छूना पोक्सों के तहत अपराध है. पॉक्सो का उद्देश्य बच्चों को यौन शोषण से बचाना है. ऐसी संकीर्ण व्याख्या हानिकारक होगी . 

बॉम्बे हाईकोर्ट में एडहॉक जज जस्टिस पुष्पा वी. गनेडीवाला को स्थाई जज नहीं बनाया जाएगा। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने यह फैसला लिया है। जस्टिस गनेडीवाला फिलहाल बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में नियुक्त हैं।

पॉक्सो मामले में जस्टिस गनेडीवाला के ‘स्किन-टु-स्किन कॉन्टैक्ट’ वाले फैसले को इसकी वजह माना जा रहा है। कुछ समय पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को रद्द कर दिया था। POCSO एक्ट (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्शुअल ऑफेंसस) के दो मामलों को लेकर गनेडीवाला के फैसलों की आलोचना हुई थी।

स्किन-टु-स्किन कॉन्टैक्ट वाले फैसले पर विवाद

12 साल की लड़की के साथ यौन अपराध केस में आरोपी को बरी करते हुए जस्टिस गनेडीवाला ने कहा था कि स्किन-टु-स्किन संपर्क में आए बिना किसी को छूना POCSO एक्ट के तहत यौन हमला नहीं माना जाएगा। यही नहीं, 5 साल की बच्ची का हाथ पकड़ने और पेंट खोलने को भी जस्टिस गनेडीवाला ने यौन उत्पीड़न नहीं माना था।

आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपी को रिहा किया

एक अन्य फैसले में उन्होंने पत्नी से पैसे की मांग करने को उत्पीड़न करार नहीं दिया था। साथ ही आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपी को रिहा कर दिया। इसके बाद पिछले हफ्ते उनका प्रमोशन रोक दिया गया था। जस्टिस गनेडीवाला के फैसलों पर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि उनके आदेश खतरनाक मिसाल कायम करेंगे।

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2 साल की जगह सिर्फ 1 साल का एक्सटेंशन मिला

इसी साल फरवरी में जस्टिस गनेडीवाला को 2 साल की जगह सिर्फ एक साल का एक्सटेंशन दिया गया था। अगर यह विस्तार नहीं मिलता तो उन्हें जिला न्यायपालिका में वापस जाना पड़ता। बॉम्बे हाई कोर्ट आने से पहले 2019 तक वे यहीं थीं।

सूत्रों ने कहा कि इन फैसलों के बाद कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति गनेडीवाला को स्थायी न्यायाधीश की सिफारिश करने के अपने फैसले को उलट दिया।

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम शायद ही कभी सरकार को की गई सिफारिशों को वापस लेने या वापस लेने के लिए जाना जाता है। मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना के अलावा, जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस एएम खानविलकर तीन सदस्यीय कॉलेजियम का हिस्सा हैं, जो उच्च न्यायालय के विभिन्न न्यायाधीशों से संबंधित निर्णय लेता है।

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