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न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने भारत के 51वें CHIEF JUSTICE OF INDIA के रूप में शपथ ली

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के रूप में शपथ दिलाई।

न्यायमूर्ति खन्ना का सीजेआई के रूप में कार्यकाल 183 दिनों का होगा, जो छह महीने से थोड़ा ज़्यादा है। वे 13 मई, 2025 को सेवानिवृत्त होंगे।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने 1983 में कराधान, संवैधानिक कानून, मध्यस्थता, वाणिज्यिक और पर्यावरण मामलों के क्षेत्रों में अपनी वकालत शुरू की।

2004 में, उन्हें राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के लिए स्थायी वकील (सिविल) के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्हें 2005 में दिल्ली उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था और एक साल बाद उन्हें स्थायी न्यायाधीश बनाया गया था।

उन्हें 18 जनवरी, 2019 को सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत किया गया था।

जब न्यायमूर्ति खन्ना को शीर्ष अदालत में पदोन्नत किया गया था, तो उन्होंने इसे अपने लिए एक बड़ा आश्चर्य बताया था।

न्यायमूर्ति खन्ना सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश हंस राज खन्ना के भतीजे हैं, जो ऐतिहासिक एडीएम जबलपुर मामले में अपनी असहमति के लिए जाने जाते हैं।

एक शीर्ष न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने खुद कई महत्वपूर्ण निर्णय दिए हैं, खासकर पिछले कुछ महीनों में।

वे संविधान पीठ का हिस्सा थे जिसने पिछले साल भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को बरकरार रखा था।

न्यायमूर्ति खन्ना उस संविधान पीठ का भी हिस्सा थे जिसने चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था, जिसमें राजनीतिक दलों को गुमनाम दान की अनुमति थी।

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इस साल अप्रैल में जस्टिस खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने चुनाव के दौरान सभी वोटर वेरिफ़िएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्चियों का इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के ज़रिए डाले गए वोटों से मिलान करने के निर्देश देने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था।

इस साल लोकसभा चुनाव से पहले जस्टिस खन्ना की अगुवाई वाली बेंच ने पूर्व नौकरशाह ज्ञानेश कुमार और डॉ. सुखबीर सिंह संधू की नए चुनाव आयुक्त के तौर पर नियुक्ति पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।

न्यायमूर्ति खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने ही 12 जुलाई को दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अंतरिम जमानत दी थी।

न्यायमूर्ति खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने इससे पहले इसी मामले में सांसद संजय सिंह को जमानत दी थी।

अगस्त में जस्टिस खन्ना ने मुंबई के एक कॉलेज में छात्रों के कैंपस में बुर्का, हिजाब या नकाब पहनने पर प्रतिबंध लगाने पर सवाल उठाया था। उनकी अध्यक्षता वाली बेंच ने इस संबंध में संस्थान द्वारा जारी नोटिस पर आंशिक रूप से रोक लगा दी थी।

जानकारी हो की वर्ष 2021 में जस्टिस खन्ना ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के मामले में बहुमत के फैसले से असहमति जताई थी।

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