झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) नेता हेमंत सोरेन ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जिसमें वह फिलहाल जेल में हैं।
मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी गिरफ्तार को चुनौती दी है और जमानत की मांग की है।
सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को हेमंत सोरेन की जमानत की मांग वाली याचिका पर सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट में हेमंत सोरेन की तरफ से सीनियर अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी और बताया कि हाईकोर्ट की वजह से हेमंत सोरेन लोकसभा चुनाव के प्रचार-प्रसार में हिस्सा नहीं ले पा रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट से कपिल सिब्बल ने कहा, ‘झारखंड हाईकोर्ट में हमेंत सोरेन की जमानत पर फैसला सुरक्षित रखा हुआ है लेकिन हाईकोर्ट फैसला नहीं सुना रहा है। इसकी वजह से हेमंत सोरेन चुनावी प्रचार में हिस्सा नहीं ले पा रहे हैं। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट से कपिल सिब्बल ने हाईकोर्ट को हेमंत सोरेन की जमानत पर जल्द फैसला लेने के लिए आदेश जारी करने की मांग कीं। इस मांग पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कपिल सिब्बल से कहा कि आप चीफ जस्टिस के सेक्रेटरी को यह मामला भेजिए। वही तय करेंगे कि आपकी याचिका पर कब सुनवाई की जाए।
दरअसल, झारखंड हाईकोर्ट में हेमंत सोरेन की तरफ से दाखिल याचिका में ईडी की तरफ से अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए जमानत की मांग की है, जिस पर हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा हुआ है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने हेमंत सोरेन की याचिका सुनने से इनकार करते हुए उन्हें हाईकोर्ट जाने का निर्देश दिया था। सोरेन को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद धनशोधन के एक मामले में 1 फरवरी को गिरफ्तार कर लिया गया था। ईडी ने कथित भूमि धोखाधड़ी मामले से जुड़े धनशोधन के आरोपों को लेकर सात घंटे से अधिक की पूछताछ के बाद बुधवार को हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लिया था।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने कहा कि सीजेआई को मामले को सूचीबद्ध करने पर फैसला लेना होगा।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने कहा, “मुख्य न्यायाधीश सचिवालय इस पर फैसला करेगा। कृपया एक बार सूचित करें।”
झारखंड में “माफिया द्वारा भूमि के स्वामित्व में अवैध परिवर्तन” से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उनकी गिरफ्तारी के बाद हेमंत सोरेन ने 31 जनवरी को झारखंड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
ईडी ने 23 जून 2016 को सोरेन, रंजन, नौ अन्य और तीन कंपनियों के खिलाफ पीएमएलए की धारा 45 के तहत मामले के संबंध में अभियोजन शिकायत दर्ज की।
जबकि आरोपी व्यक्ति सलाखों के पीछे बंद हैं, सोरेन ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों से इनकार किया है। गिरफ्तार होने से तुरंत पहले जारी एक वीडियो में सोरेन ने दावा किया कि उन्हें एक साजिश के तहत “फर्जी कागजात” के आधार पर गिरफ्तार किया जा रहा है।
ईडी द्वारा गिरफ्तारी के बाद सोरेन ने 31 जनवरी को अपने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया
इसके बाद उन्होंने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन शीर्ष अदालत ने इस पर विचार करने से इनकार कर दिया था और उन्हें भी पहले उच्च न्यायालय जाने का निर्देश दिया था।
इसके बाद झामुमो नेता ने उच्च न्यायालय का रुख किया, जिसने मामले की सुनवाई की, लेकिन अभी तक अपना आदेश नहीं सुनाया है।