‘हमारे देश में जस्टिस सिस्टम की प्रक्रिया ही सजा है’ – CJI रमन्ना बोले-वैकेंसी नहीं भरने से केस पेंडिंग; इंफ्रास्ट्रक्चर पर उठाए सवाल
अशोक गहलोत बोले – रिटायरमेंट के बाद कुछ बनने की चिंता जजेज को रहेगी तो कैसे काम चलेगा ?
किरन रिजुजू ने कहा – कोई भी कोर्ट केवल प्रभावशाली लोगों के लिए नहीं होना चाहिए। यह हमारे लिए चिंता का विषय है। मैं मानता हूं कि न्याय का द्वार सबके लिए हमेशा बराबर खुला रहना चाहिए।
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण National Legal Services Authority (NALSA) के राष्ट्रीय सम्मेलन में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के वकीलों की महंगी फीस का मुद्दा छाया रहा। जयपुर में हुए इस राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) में देश के मुख्य न्यायाधीश के साथ केंद्रीय कानून मंत्री और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलौत के साथ देशभर के हाईकोर्ट के जजों और विद्धजनो ने हिस्सा लिया I कार्यक्रम में एक सुर में रिजुजू और गहलोत ने वकीलों की महंगी फीस पर चिंता जताई।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि कई जज फेस वैल्यू देखकर फैसला देते हैं। वकीलों की फीस इतनी ज्यादा है कि गरीब आदमी सुप्रीम कोर्ट नहीं जा सकता। केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने भी गहलोत का समर्थन करते हुए कहा कि जो लोग अमीर होते हैं, वे लोग अच्छा वकील कर लेते हैं। पैसे देते हैं। आज दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट में कई वकील ऐसे हैं, जिन्हें आम आदमी अफोर्ड ही नहीं कर सकता हैI
आम आदमी कहां से लाएगा इतना मोटी रकम-
किरण रिजिजू ने कहा- जो लोग अमीर होते हैं वे अच्छा वकील कर लेते हैं। पैसे देते हैं। आज दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट में कई वकील ऐसे हैं, जिन्हें आम आदमी अफोर्ड ही नहीं कर सकता है। एक-एक केस में सुनवाई के एक वकील 10 लाख, 15 लाख रुपए चार्ज करेंगे तो आम आदमी कहां से लाएगा। कोई भी कोर्ट केवल प्रभावशाली लोगों के लिए नहीं होना चाहिए। यह हमारे लिए चिंता का विषय है। मैं मानता हूं कि न्याय का द्वार सबके लिए हमेशा बराबर खुला रहना चाहिए।
कमेटी बनाकर कोई तरीका निकाला जाए-
जयपुर एक्जीबिशन एंड कन्वेंशन सेंटर (JECC) में CJI और देशभर के हाईकोर्ट के जजों की मौजूदगी में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वकीलों की तगड़ी फीस को लेकर निशाना साधा। उन्होंने कहा- गरीब आदमी आज सुप्रीम कोर्ट नहीं जा सकता। इसको कौन ठीक कर सकता है। समझ से परे है। अच्छे-अच्छे लोग सुप्रीम कोर्ट नहीं जा सकते।
गहलोत ने कहा कि फीस की भी हद होती है। एक करोड़, 80 लाख, 50 लाख रुपए। पता नहीं देश में क्या हो रहा है? यह बात मैंने एक बार चीफ जस्टिस की बैठक में भी उठाई थी। यह जो स्थिति बनी है, उस पर भी चिंतन करें। कोई कमेटी बने। कुछ तरीका तो हो।
संविधान की रक्षा है सबकी जिम्मेदारी-
कार्यक्रम अशोक गहलोत ने कहा, जज भी फेस वैल्यू देखकर फैसला देते हैं तो आदमी क्या करेगा। अमुक (खास व्यक्ति) वकील को खड़ा करेंगे तो जज साहब इम्प्रेस होंगे। अगर यह स्थिति है तो इसे भी आपको समझना होगा। संविधान की रक्षा करना हम सबका दायित्व है।