उपर्युक्त सूची दहेज के आरोपों को खत्म करने के लिए एक उपाय के रूप में भी काम करेगी जो बाद में वैवाहिक विवाद में लगाए जाते हैं.
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने दहेज निषेध अधिनियम, 1961 की धारा 3(2) के तहत विवाह के समय दूल्हा या दुल्हन को मिले उपहारों की सूची बनाए रखने के महत्व को रेखांकित किया है. कोर्ट ने कहा है कि इन उपहारों की एक लिस्ट जरूर बनाई जानी चाहिए और इस पर बाकायदा दूल्हा और दुल्हन के हस्ताक्षर भी होने चाहिए. न्यायालय का मानना है कि यह झूठे दहेज के आरोपों और बाद के विवादों को रोकने में मदद करेगा.
न्यायमूर्ति विक्रम डी. चौहान ने कहा कि यह सूची “दोनों पक्षों और उनके परिवार के सदस्यों को बाद में शादी में दहेज लेने या देने का झूठा आरोप लगाने से रोकने में मदद करेगी.” इसके साथ ही कोर्ट ने अगली सुनवाई पर सरकार से हलफनामा दाखिल करने को कहा है, जिसमें उन्हें बताना होगा कि दहेज प्रतिषेध अधिनियम के रूल 10 के अन्तर्गत कोई नियम प्रदेश सरकार ने बनाया है?
कोर्ट ने कहा “दहेज निषेध अधिनियम द्वारा की गई व्यवस्था बाद में पक्षों के बीच मुकदमेबाजी में भी इस निष्कर्ष पर पहुंचने में सहायता कर सकती है कि दहेज लेने या देने के संबंध में आरोप दहेज निषेध अधिनियम, 1961 की धारा 3(2) के तहत बनाए गए अपवाद के अंतर्गत आते हैं या नहीं.”
दहेज निषेध अधिनियम, 1961 की धारा 3 में दहेज देने या लेने पर कम से कम 5 वर्ष की कैद और कम से कम 50000 रुपये या दहेज के मूल्य के बराबर राशि, जो भी अधिक हो, जुर्माने का प्रावधान है. धारा 3 की उपधारा (2) में प्रावधान है कि विवाह के समय दूल्हे या दुल्हन को जो उपहार दिए जाते हैं, जिनकी मांग नहीं की गई है, वे दहेज नहीं हैं, बशर्ते कि किसी भी व्यक्ति द्वारा प्राप्त ऐसे उपहारों की सूची नियमों के अनुसार रखी जाए. दहेज निषेध (दूल्हे और दुल्हन को उपहारों की सूची का रखरखाव) नियम, 1985 का नियम 2 धारा 3(2) के तहत उपहारों की सूची को बनाए रखने के तरीके को निर्धारित करता है.
न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि विधायिका ने जानबूझकर विवाह के समय दूल्हे या दुल्हन को प्राप्त उपहारों को “दहेज” की परिभाषा से बाहर रखा है. लेकिन, इस छूट का फायदा उठाने के लिए दूल्हे और दुल्हन को नियमों के अनुसार प्राप्त उपहारों की सूची बनाए रखना आवश्यक है. फैसले में आगे कहा गया कि विधायिका भारतीय परंपरा से अवगत थी और इस प्रकार उपर्युक्त अपवाद तैयार किया गया था. उपर्युक्त सूची दहेज के आरोपों को खत्म करने के लिए एक उपाय के रूप में भी काम करेगी जो बाद में वैवाहिक विवाद में लगाए जाते हैं.
मामले को 23 मई को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया गया है.
वाद शीर्षक – अंकित सिंह और 3 अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य