भोजशाला विवाद में नया मोड़, हिंदू पक्ष ने फिर किया सुप्रीम कोर्ट का रुख, इस आदेश को वापस लेने की लगाई गुहार

मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित भोजशाला को लेकर चल रहा विवाद एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के 1 अप्रैल को जारी एएसआई रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई न करने के आदेश को वापस लेने की गुहार लगाई है। हिंदू पक्ष ने अपनी अर्जी में कहा कि कमाल मौला मस्जिद कमेटी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी एएसआई जांच पर रोक लगाने की मांग लेकर सुप्रीम कोर्ट आई थी।

भोजशाला मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ASI रिपोर्ट के आधार पर कोई भी कार्रवाई करने से पहले मामला सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में लाया जाना चाहिए। हिंदू पक्ष इसी आदेश को वापस लेने की गुहार लगा रहा है। हिंदू पक्ष ने कहा कि मस्जिद कमेटी ASI जांच पर रोक को मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट आई थी। लेकिन ASI जांच पूरी हो चुकी है, और ASI ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में जांच रिपोर्ट दाखिल कर दी है।

हिंदू पक्ष ने कहा 2047 पन्नों की ASI रिपोर्ट दाखिल की है, जिसमें कई सनातन संस्कृति की कई निशानियां मिली हैं। हिंदू पक्ष ने कहा कि न्याय के हित में सुप्रीम कोर्ट को अपना अंतरिम आदेश वापस लेना चाहिए ताकि हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई आगे बढ़ सके।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ASI की रिपोर्ट में क्या?

ASI ने लगातार 98 दिन भोजशाला का सर्वे किया। 500 मीटर के दायरे का साइंटिफिक सर्वे किया और उसके बाद 2000 पेज की रिपोर्ट फाइल की। अपनी रिपोर्ट में ASI ने कहा कि भोजशाला में करीब 97 मूर्तियां मिली हैं। इनमें से 37 मूर्तियां देवी-देवताओं की हैं जबकि बाकी मूर्तियां हिंदू धर्म से जुड़े दूसरी चीजों की हैं। इसके अलावा भी रिपोर्ट में कई सारी ऐसी फाइंडिंग्स हैं, जिससे ये साबित होता है कि भोजशाला पहले मंदिर था लेकिन मुस्लिम पक्ष इसे कमाल मौला मस्जिद मानता है। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि मंदिर में मूर्तियां तो बाद में रखी गई हैं।

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भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण जांच ने मंदिर के पुराने स्ट्रक्चर मिले-

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी एएसआई जांच रिपोर्ट के प्वाइंट नंबर 36 में लिखा है कि भोजशाला के दीवारों और खंभों पर भगवान गणेश, ब्रह्माजी, नरसिम्हा और भैरव की मूर्तियां हैं। रिपोर्ट के प्वाइंट नंबर 49 में लिखा है कि यहां पर संस्कृत और प्राकृत भाषा में जो शब्द और मंत्र लिखे गए हैं। वो अरेबिक और पर्शियन से पहले के हैं इससे ये साबित होता है कि संस्कृत और प्राकृत भाषा का इस्तेमाल करने वाले लोग भोजशाला में पहले आए थे। इसी तरह ASI की रिपोर्ट के 22 और 23 में कहा गया है कि जो स्ट्रक्चर बाद में बने हैं वो जल्दबाजी में बनाए गए हैं इसलिए सिमेट्री और डिजाइन का ख्याल नहीं रखा गया है। लेकिन जो स्ट्रक्चर पहले का है वो यूनिफॉर्म शेप और हाइट है। इससे ये साबित होता है कि मंदिर का स्ट्रक्चर पहले का है।

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