सपा के पूर्व सांसद ‘बाहुबली रिजवान जहीर’ की जमानत याचिका पर HC ने कहा, समाजहित में ऐसे जघन्य अपराधी को जमानत नहीं-

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इलाहाबाद उच्च न्यायालय लखनऊ बेंच न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह के समक्ष बहुत ही हाइ फाई जमानत प्रार्थना पत्र पेश हुआ l आरोपी-आवेदक रिजवान जहीर एक बार अपने गृहनगर से विधानसभा सदस्य रहे हैं और उसके बाद बलरामपुर से दो बार सांसद चुने गए। उनके खिलाफ हीनियस क्राइम के एक नहीं पन्द्रह मामले दर्ज हैंI

क्या है मामला-

वर्तमान आवेदन धारा 439 Cr.P.C के तहत है। जो पुलिस थाना तुलसीपुर जिला बलरामपुर में धारा 302 एवं 120-बी आईपीसी के तहत 2022 की प्राथमिकी संख्या 02 में जमानत की मांग करते हुए दायर किया गया है। अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। प्राथमिकी मृतक के भाई फिरोज अहमद उर्फ ​​पप्पू द्वारा दी गई शिकायत पर दर्ज किया गया था, जिसमें आरोप लगाया गया की जब मृतक 4.1.2022 को कार से उतरने के बाद लगभग 10.20 बजे अपने घर जा रहा था तभी शहीद प्रधान के दो अज्ञात लोगों ने लोहे की रॉड और धारदार हथियार से मृतक पर हमला कर दिया और उसकी बेरहमी से हत्या कर दी गई। शोर मचाने पर जब शिकायतकर्ता घटना स्थल पर पहुंचा तो उसने अपने भाई को मृत पाया। हमलावर घटना स्थल से फरार हो गए थे। शिकायत में कहा गया है कि राजनीतिक कारणों से शिकायतकर्ता के भाई की हत्या पूर्व नियोजित तरीके से की गई।

पुलिस ने दो हमलावरों को गिरफ्तार किया और उन्होंने पुलिस के सामने अपना जुर्म कबूल कर लिया। उन्होंने यह भी कहा था कि उन्होंने वर्तमान आरोपी-आवेदक और अन्य आरोपियों के इशारे पर अपराध को अंजाम दिया था।

आरोपी-आवेदक रिजवान जहीर के ऊपर दर्ज मुकदमे-

  1. Case Crime No.45 of 1987, under Sections 307, 323, 504, 506 IPC, Police Station Tulsipur, District Balrampur;
  2. Case Crime No.54 of 1987, under Sections 147, 148, 149, 307, 364, 302 IPC, Police Station Tulsipur, District Balrampur;
  3. Case Crime No.94 of 1987, under Section 25 Arms Act;
  4. Case Crime No.117 of 1991, under Section 302 and 120-B IPC;
  5. Case Crime No.27 of 1992, under Sections 147, 148, 149, 302, 307 IPC, Police Station Harraiya, District Balrampur;
  6. Case Crime No.110 of 1989, under Sections 302 and 120-B IPC, Police Station Kotwali Nagar, District Gonda;
  7. Case Crime No.1087 of 1992, under Sections 147, 148, 149, 336, 307, 282, 353, 188 IPC, Section 7 Criminal Law Amendment Act and Section ¾ Explosive Substances Act, Police Station Kotwali Nagar, District Gonda;
  8. Case Crime No.1092 of 1993, under Section 3(2) NSA;
  9. Case Crime No.178 of 1992, under Sections 307, 302 IPC and Section 95 Exp. Act, Police Station Tulsipur, District Balrampur;
  10. Case Crime No.82 of 1992, under Section ¾ Goonda Act;
  11. Case Crime No.406 of 2000, under Section 309 IPC, Police Station Utraula;
  12. Case Crime No.357 of 2003, under Sections 147, 148, 323, 352, 504, 506 IPC, Police Station Tulsipur, District Balrampur;
  13. Case Crime No.93 of 2021, under Sections 147, 149, 332, 353, 504, 506, 307, 427, 393, 435 IPC and Section 7 Criminal Law Amendment Act, Police Station Tulsipur, District Balrampur;
  14. Case Crime No.94 of 2021, under Sections 323, 504, 506, 435 IPC, Police Station Tulsipur, District Balrampur; and
  15. FIR No.02 of 1987, under Sections 302 and 120-B IPC, Police Station Tulsipur, District Balrampur.”
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अभियुक्त आवेदक के अधिवक्‍ता की दलील –

अभियुक्त आवेदक रिज़वान जहीर के विद्वान अधिवक्‍ता श्री सिद्धार्थ सिन्‍हा का कहना है कि यह बिना किसी सबूत का मामला है। राजनीतिक कारणों से आरोपित-आवेदक को झूठा फंसाया गया है। उन्होंने आगे कहा कि सह-आरोपी के बयान, जो कथित तौर पर दो हमलावर हैं, आरोपी-आवेदक के खिलाफ नहीं पढ़े जा सकते क्योंकि ये साक्ष्य में स्वीकार्य नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि घटना का कोई चश्मदीद नहीं है। मामला परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर आधारित है। पुलिस ने आरोपित-आवेदक को अपराध में झूठा फंसाया है।

अभियुक्त-आवेदक के विद्वान अधिवक्ता ने आगे कहा कि अभियुक्त-आवेदक दिनांक 10.1.2022 से जेल में है, और उसका स्वास्थ्य ठीक नहीं है, वह हृदय रोग से पीड़ित है और अत्यधिक मधुमेह है। उनका यह भी निवेदन है कि अभियुक्त-आवेदक साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ या गवाहों को प्रभावित करने की स्थिति में नहीं है और इन तथ्यों पर विचार करते हुए उसे जमानत पर बढ़ाया जा सकता है।

अभियोजन पक्ष की दलील –

अभियोजन के तरफ से श्री राव नरेंद्र सिंह, विद्वान एजीए और श्री सुशील कुमार सिंह, शिकायतकर्ता के विद्वान वकील ने जमानत अर्जी का विरोध किया है और कहा कि आरोपी-आवेदक रिज़वान जहीर कठोर अपराधी और ‘बाहुबली’ है। उसके ऊपर पंद्रह मामलों में से छह मामले हत्या आदि से संबन्धित आईपीसी की धारा 302 के तहत दर्ज। आरोपी-आवेदक दो बार संसद सदस्य और दो बार विधान परिषद के सदस्य और एक बार विधान सभा सदस्य रह चुके हैं। आरोपी-आवेदक ने अपने करियर की शुरुआत साल 1987 से क्राइम की दुनिया से की थीI

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अभियोजन के तरफ से कहा गया की आरोपी को हर बार जब उन्हें जमानत पर बढ़ाया गया, तो उन्होंने एक और जघन्य अपराध किया और उनके आतंक और प्रभाव के कारण, गवाह उनके खिलाफ गवाही देने की हिम्मत नहीं कर सके और उन्होंने इस आधार पर बरी कर दिया कि अभियोजन पक्ष साबित नहीं कर सका उसके खिलाफ मामला उचित संदेह से परे था क्योंकि वह गवाहों को प्रभावित करने और सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने में सक्षम था क्योंकि वह अपने आतंक, शक्ति, धन और बाहुबल के कारण था।

विद्वान एजीए और शिकायतकर्ता के विद्वान वकील ने आगे कहा कि उत्तर प्रदेश गैंगस्टर और असामाजिक गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1986 अधिनियम, 1986 के 7 के तहत कार्यवाही भी उनके और उनकी कई करोड़ की बेनामी संपत्तियों के खिलाफ की गई है। जिला मजिस्ट्रेट बलरामपुर द्वारा उत्तर प्रदेश गैंगस्टर और असामाजिक गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1986 की धारा 14 (1) के तहत संलग्न किया गया है।

मृतक को बहुत ही वीभत्स तरीके से इसलिए मारा गया है क्योंकि वह आरोपी-आवेदक के राजनीतिक जीवन के लिए संभावित चुनौती था। यह प्रस्तुत किया गया है कि आरोपी-आवेदक के खिलाफ रिकॉर्ड पर पर्याप्त सबूत उपलब्ध हैं। यदि आरोपी-आवेदक की जमानत को बढ़ा दिया जाता है, तो वह गवाहों को प्रभावित करेगा और सबूतों के साथ छेड़छाड़ करेगा और उसके कब्जे में आतंक, शक्ति, धन और बाहुबल के कारण स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई संभव नहीं होगी।

कोर्ट ने जमानत देने से किया इन्कार –

न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह ने प्रस्तुत निवेदनों पर विचार किया है और अभिलेख का अवलोकन करते हुए कहा की यह विवाद की बात नहीं है कि मृतक समाजवादी पार्टी से 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए टिकट पाने का प्रयास कर रहा था। आरोपी-आवेदक अपनी बेटी सह-आरोपी जेबा रिजवान के लिए समाजवादी पार्टी से उसी निर्वाचन क्षेत्र से टिकट लेने की कोशिश कर रहा था।

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जांच के दौरान आरोपी आवेदक रिज़वान जहीर की भूमिका सामने आई है और उसके तथा अन्य सह अभियुक्तों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया है I अभियोजन पक्ष के बहस के अनुसार, आरोपी-आवेदक अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी को घटनास्थल से हटाने के लिए अपराध का मुख्य सूत्रधार है। वह अपने खिलाफ दर्ज जघन्य अपराधों के लंबे रिकॉर्ड के साथ एक “बाहुबली” है।

अदालत ने आगे कहा की अपराध की जघन्यता, समाज पर प्रभाव, वर्तमान आरोपी-आवेदक के प्रभाव और शक्ति, जघन्य अपराधों के उसके पिछले रिकॉर्ड और मामले के गुण-दोष पर टिप्पणी किए बिना, इस न्यायालय को यह नहीं लगता है कि यह जमानत दिए जाने का उपयुक्त मामला ह।

तदनुसार जमानत आवेदन खारिज किया जाता है।

केस टाइटल – Rizwan Zaheer S/O Zaheerul Haq vs State Of U.P. Thru. Its Prin. Secy. Home

केस नम्बर – CRIMINAL MISC. BAIL APPLICATION No. – 4365 of 2022

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