बहस के दौरान ‘कागज पर कागज’ देने की आदतों को सुधारा जाना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि इस मामले में करीब 200 याचिकाएं हैं-

सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि बहस में कागजों पर कागज देने की आदत सही नहीं है। इसकी वजह से कई तरह की उलझनें पैदा होती हैं।

जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने कहा कि कागजों पर कागज ऐसे दिए जाते हैं जैसे यह कोई डस्टबिन है।

हम सभी को यह आदत बदलनी चाहिए-

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह कोई व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं है, एक सामान्य टिप्पणी है। यह आदत पूरी तरह बदलनी चाहिए। साथ ही बताया कि जब जज घरों से सुनवाई कर रहे हैं, इन कागजों के ढेर संभालना असंभव हो जाता है। और जब कोई कागज खो जाए तो पुनर्विचार याचिका दायर कर दी जाती है।

सुनवाई में आए वकील ने कहा कि वह केवल दो निर्णयों के कागज पेश करेंगे जिन्हें बहस में आधार बनाया गया है।

दूसरी ओर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि इस मामले में करीब 200 याचिकाएं हैं। चूंकि अदालत ने स्थगन लगा दिया है, इसलिए कई बेहद गंभीर मामलाें में जांच प्रभावित हो रही है।

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