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राजीव गांधी हत्याकांड: पेरारीवलन ने सुप्रीम कोर्ट में कहा ‘मैं 30 साल से जेल में हूं, राज्यपाल के फैसले को रिकॉर्ड में रखा जाना चाहिए’-

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या (Rajiv Gandhi Assassination) के मामले में सुप्रीम कोर्ट मंगलवार 7 दिसंबर को सुनवाई कर सकता है. इस मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे 7 दोषियों को तय समय से पहले रिहा किए जाने को लेकर ये सुनवाई होगी. बताया गया है कि तमिलनाडु सरकार ने मद्रास हाईकोर्ट को ये जानकारी दी है कि इस केस को 7 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की गई.

जस्टिस एलएन राव, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ के समक्ष पेरारीवलन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा, “मैं (पेरारीवलन) 30 साल से जेल में हूं. राज्यपाल के फैसलों को रिकॉर्ड में लेने की जरूरत है.” पीठ पेरारीवलन द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो दो दशकों से अधिक समय से उम्रकैद की सजा काट रहा है. याचिका में तमिलनाडु सरकार द्वारा सितंबर 2018 में उसे क्षमादान देने की सिफारिश पर निर्णय लेने के लिए राज्यपाल की निष्क्रियता के कारण दु:ख जताया गया था.

तमिलनाडु कैबिनेट की तरफ से राज्यपाल को एक सिफारिश की गई थी, जिसमें संविधान के अनुच्छेद 161 का हवाला देते हुए सभी दोषियों को रिहा करने की बात कही गई थी. हालांकि राज्यपाल की तरफ से करीब दो साल तक कोई फैसला नहीं लिया गया.

राज्य सरकार ने राज्यपाल को की थी सिफारिश

बता दें कि 2016 में राजीव गांधी की हत्या में शामिल एक दोषी की तरफ से जल्द रिहाई की मांग करते हुए याचिका दायर की गई थी. इन सभी दोषियों को सीबीआई की जांच में बड़ी साजिश का हिस्सा बताया गया था. जो राजीव गांधी की हत्या के लिए रची गई थी.

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इससे पहले पिछले साल इस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से मामले की वर्तमान स्थिति की जानकारी मांगी थी.

तमिलनाडु कैबिनेट की तरफ से राज्यपाल को एक सिफारिश की गई थी, जिसमें संविधान के अनुच्छेद 161 का हवाला देते हुए सभी दोषियों को रिहा करने की बात कही गई थी. हालांकि राज्यपाल की तरफ से करीब दो साल तक कोई फैसला नहीं लिया गया.

राष्ट्रपति पर छोड़ा गया दया याचिका का फैसला

राज्य सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट को दिए गए जवाब में कहा गया था कि, राज्यपाल फैसला लेने से पहले एमडीएमए की अंतिम रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने देरी पर नाराजगी जताई थी. लेकिन बाद में गृहमंत्रालय की तरफ से बताया गया कि राज्यपाल ने तमाम रिपोर्ट्स की स्टडी करने के बाद ये कहा कि इस मामले के निपटारे के लिए राष्ट्रपति ही सही अथॉरिटी होंगे. यानी दया याचिका का फैसला राष्ट्रपति पर छोड़ दिया गया.

बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की एक चुनावी रैली में हत्या कर दी गई थी. 21 मई 1991 में एक आत्मघाती महिला हमलावर ने इस हत्याकांड को अंजाम दिया था.

केस टाइटल – एजी पेरारीवलन बनाम तमिलनाडु राज्य
एसएलपी (आपराधिक) संख्या 10039/2016

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