राज्य विधिज्ञ परिषद, उत्तर प्रदेश ने सर्टिफिकेट ऑफ प्रैक्टिस नवीनीकरण शुल्क ₹500 से घटाकर ₹250 किया, आपराधिक अधिवक्ताओं की सूची जल्द

राज्य विधिज्ञ परिषद, उत्तर प्रदेश ने सर्टिफिकेट ऑफ प्रैक्टिस नवीनीकरण शुल्क ₹500 से घटाकर ₹250 किया, आपराधिक अधिवक्ताओं की सूची जल्द

बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के नव निर्वाचित अध्यक्ष शिव किशोर गौड़ ने आज अपने कार्यकाल में अधिवक्ता हिट में एक सराहनीय कार्य किया। बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के नव निर्वाचित अध्यक्ष शिव किशोर गौड़ ने राज्य विधिज्ञ परिषद, उत्तर प्रदेश ने सर्टिफिकेट ऑफ प्रैक्टिस (COP) का शुल्क घटाकर ₹500 से ₹250 कर दिया है। अब सीओपी के नवीनीकरण में केवल 250 रुपए ही देने होंगे। बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के नव निर्वाचित अध्यक्ष शिव किशोर गौड़ ने सदन की बैठक में यह निर्णय लिया है।

अध्यक्ष शिव किशोर गौड़ ने कहा कि बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश अधिवक्ताओं के हित में लगातार काम करेगी। उन्होंने बताया कि वर्तमान बार काउंसिल के गठन से अब तक कुल 14 करोड़ सड़सठ लाख तेईस हज़ार की धनराशि का भुगतान काउंसिल के माध्यम से अधिवक्ताओं के हित के लिए किया गया है। बीमार अधिवक्ताओं के लिए अब तक 5 करोड़ 25 लाख 65 हजार की धनराशि का भुगतान किया गया है।

अभी तक 15 करोड़ 65 लाख की धनराशि का भुगतान अधिवक्ताओं के वृद्धावस्था मृत्यु दावा योजना के अंतर्गत किया गया है। उन अधिवक्ताओं के परिजनों को रुपए का भुगतान किया गया है, जिनकी मृत्यु 70 वर्ष के बाद हुई है। इसके अलावा खोलना संक्रमण काल में पीड़ित अधिवक्ताओं को बाहर संघ के माध्यम से 10 करोड़ 58 लाख ₹18 हजार की धनराशि का भुगतान किया गया है।

अपराधी प्रवृत्ति के अधिवक्ताओं की सूची जल्द ही सामने आएगी-

अधिवक्ता शिव किशोर गौड़ बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के नव निर्वाचित अध्यक्ष ने कहा कि अधिवक्ता समाज का निर्माता होता है। इसलिए प्रत्येक एडवोकेट इस बात का ध्यान रखें कि एडवोकेट होने का लाइसेंस इसलिए नहीं दिया गया है कि वह मारपीट करें। उपद्रव करें और आपराधिक कार्यों में इंवॉल्व रहे। ऐसे सभी अधिवक्ताओं की सूची तैयार की जा रही है और ऐसे अधिवक्ताओं को चिह्नित करने के बाद उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी । उन्होंने अधिवक्ताओं को यह भी आश्वासन दिया कि उनके यहां यदि कोई अधिकारी न्यायिक अधिकारी तथा कोई दबंग किसी प्रकार का अन्याय करता है तो बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश ऐसे एडवोकेट की लड़ाई खुद लड़ेगा। इस शर्त के साथ की बार काउंसिल को सही सूचना देता रहेगा। उन्होंने अधिवक्ताओं से सामाजिक हित में काम करने की अपील की।

ALSO READ -  साक्ष्य की पर्याप्तता को प्रमाण के मानक के संदर्भ में देखा जाना चाहिए, जो सिविल मामलों में संभाव्यता की प्रधानता से होता है: सुप्रीम कोर्ट
Translate »
Scroll to Top