सुप्रीम कोर्ट Supreme Court ने सोमवार को एक्स्ट्रा जुडिशल कन्फेक्शन Extra Judicial confession लेकर बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट और पुलिस के अलावा तीसरे व्यक्ति के सामने जुर्म के संबंध में इकबालिया बयान यानी एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल कन्फेशन Extra judicial confession काफी नहीं है।
अदालत ने कहा कि सह आरोपी के सिर्फ एक्स्ट्रा जुडिशल कन्फेक्शन Extra Judicial confession के आधार पर आरोपी को दोषी करार नहीं दिया जा सकता है। अलबत्ता, ऐसे बयान का पूरक साक्ष्य होना जरूरी है। अगर एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल इकबालिया बयान का पूरक साक्ष्य न हो तो ऐसे साक्ष्य कमजोर किस्म के साक्ष्य होते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने हत्या के आरोपी Murder Accused को बरी करते हुए उक्त व्यवस्था दी है। हत्या के आरोपी को निचली अदालत और छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय से उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। शीर्ष कोर्ट में आरोपी ने अपील दाखिल की थी। कोर्ट ने अपील स्वीकार करते हुए हत्या आरोपी को बरी कर दिया।
न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि अगर कोई सह आरोपी एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल इकबालिया बयान देता है तो वह सिर्फ पूरक साक्ष्य हो सकता है। और ऐसा साक्ष्य पूरक साक्ष्य के तौर पर इस्तेमाल हो सकता है। अगर मुख्य साक्ष्य नहीं है तो सिर्फ एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल बयान महत्वहीन हो जाता है। सिर्फ इस बयान के आधार पर आरोपी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।
पूरा मामला क्या था?
यह मामला छत्तीसगढ़ राज्य का है। चार आरोपी भागीरथ, चंद्रपाल, मंगलसिंह और विदेशी को निचली अदालत ने दोषी करार दिया था। दो लोगों की हत्या के मामले में चारों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। इस मामले में हाई कोर्ट में अपील दाखिल की गई। हाई कोर्ट ने तीन लोगों की अपील स्वीकार कर उन्हें बरी कर दिया जबकि चंद्रपाल को दोषी करार दिया और उसे उम्रकैद की सजा दी गई। यह मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने आया।
सुप्रीम कोर्ट में आरोपी चंद्रपाल की ओर से दलील दी गई कि अभियोजन पक्ष के साक्ष्यों में विरोधाभास है और गवाही पुख्ता नहीं है। इस मामले में एक आरोपी ने एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल बयान दिया था। लेकिन, सिर्फ उस बयान के आधार पर आरोपी को दोषी करार नहीं दिया जा सकता है। कारण है कि अन्य साक्ष्य पुख्ता नहीं हैं।
राज्य सरकार ने क्या दी दलील?
राज्य सरकार ने कहा कि इस मामले में तमाम परिस्थितिजन्य साक्ष्य मौजूद हैं और साक्ष्यों की कड़ियां जुड़ रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम Indian Evidence Act की धारा-30 के मुताबिक, एक से ज्यादा आरोपी हों और साथ में ट्रायल चला हो तो एक्स्ट्रा जुडिशल कन्फेक्शन Extra Judicial confession की वैल्यू तब ज्यादा है जब अभियोजन पक्ष के अन्य पूरक साक्ष्य पुख्ता तौर पर मौजूद हों। जब तक कि पूरक साक्ष्य मौजूद नहीं हैं तब तक एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल कन्फेशन कमजोर किस्म के साक्ष्य माने जाते हैं।
कोर्ट ने कहा-
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मौजूदा मामले में एक्स्ट्रा जुडिशल कन्फेक्शन Extra Judicial confession यानी इकबालिया बयान कमजोर साक्ष्य है क्योंकि इसे साबित नहीं किया जा सका है और न ही अन्य पुख्ता साक्ष्य हैं और ऐसे में आरोपी चंद्रपाल को मर्डर मामले में इस बयान के आधार पर दोषी करार नहीं दिया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने हत्या के आरोपी Murder Accused को बरी कर दिया।