Abortion In India The Legal Angle To It125687

सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात की इजाजत प्रदान की, कहा कि गर्भपात से सिर्फ इसलिए इनकार नहीं किया जा सकता कि महिला अविवाहित है-

सुप्रीम कोर्ट SUPREME COURT ने एक गर्भपात ABORTION के ऊपर एक फैसले दिल्ली उच्च न्यायलय DELHI HIGH COURT के निर्णय को उलट अविवाहित महिला को 24 हफ्ते के गर्भ को गिराने की इजाजत प्रदान की ।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की बेंच ने दिल्ली उच्च न्यायलय के फैसले को पलटते हुए कहा कि अदालत का काम अपनी बुद्धि और विवेक का इस्तेमाल करना है।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा की अदालत को कंप्यूटर नही बनना चाहिए जो सिर्फ मशीनी फैसला दे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विवाहित महिलाओं की तरह कुंआरी लड़कियों को भी गर्भपात का अधिकार है।

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में महिला के विवाहित और अविवाहित होने का मुद्दा उठाया गया था। याचिका में कहा गया था कि कानून अविवाहित महिला के मामले में कुछ नहीं कहता है।

पति की जगह लाइफ पार्टनर के जिक्र का दिया हवाला –

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा कि गर्भपात से सिर्फ इसलिए इनकार नहीं किया जा सकता कि महिला अविवाहित है। बेंच ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी ऐक्ट में 2021 MTP ACT 2021 के संशोधन का उल्लेख करते हुए कहा कि इसमें पति की जगह पार्टनर का जिक्र है। अदालत ने कहा यह बात ही कानून की मंशा को दर्शाती है कि यह अविवाहित महिलाओं को भी दायरे में रखता है।

ज्ञात हो की इससे पहले मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली उच्च न्यायलय ने एक अविवाहित महिला को 23 हफ्तों का गर्भ गिराने की इजाजत देने में आपत्ति जताई थी। कोर्ट ने कहा था कि ऐसा करना भ्रूण की हत्या के समान होगा। हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि कानून अविवाहित महिलाओं को मेडिकल प्रक्रिया के जरिए गर्भपात के लिए समय देता है।

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विधायिका ने आपसी सहमति से संबंध को किसी मकसद से ही उन मामलों की श्रेणी से बाहर रखा है जहां 20 हफ्तों से 24 हफ्तों के बीच गर्भपात की इजाजत है।

दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह टिप्पणी गर्भपात की इजाजत के लिए महिला की याचिका पर सुनवाई के दौरान की। कोर्ट ने सुझाव दिया था कि याचिकाकर्ता को तब तक कहीं सुरक्षित जगह पर रखा जा सकता है, जब तक कि वह बच्चे को जन्म न दे दे। बाद में वह उसे गोद लेने के लिए छोड़ सकती है।

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