सुप्रीम कोर्ट Supreme Court के सामने पेश की गई एक रिपोर्ट में कहा गया कि घटना के वक्त दोषी नाबालिग था और उस वक्त उसकी उम्र 17 साल 7 महीने और 23 दिन थी। सुप्रीम कोर्ट ने दोषी को जूवेनाइल Juvenile मानते हुए रिहा करने का निर्देश दिया है।
हत्या मामले Murder Case में 17 साल जेल काटने के बाद दोषी शख्स ‘नाबालिग’ साबित हो गया और उसे सुप्रीम कोर्ट ने रिहा करने का निर्देश दिया है। दोषी को हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा हुई थी और सुप्रीम कोर्ट Supreme Court ने उम्रकैद की सजा बरकरार रखी थी, लेकिन बाद में उसने अर्जी दाखिल कर कहा कि घटना के वक्त वह नाबालिग था और ऐसे में उसे रिहा किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने दोषी को राहत देते हुए रिहाई का आदेश दिया है।
आरोपी को यूपी की निचली अदालत ने हत्या के केस में 16 मई 2006 को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसके बाद यह मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट Allahabad High Court में आया और हाई कोर्ट से मामला खारिज होने के बाद अपील सुप्रीम कोर्ट के सामने आया। सुप्रीम कोर्ट ने 2009 में अर्जी खारिज कर दी।
2021 में सुप्रीम कोर्ट में दोबारा याचिकाकर्ता की ओर से अर्जी दाखिल की गई और कहा गया कि वह घटना के वक्त नाबालिग था और ऐसे में उसे जेजे एक्ट का लाभ मिलना चाहिए और उसे रिहा किया जाना चाहिए।
न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति अभय एस ओका की पीठ ने इस आवेदन पर ध्यान देते हुए महाराजगंज के जेजे बोर्ड को आदेश दिया कि आरोपी की तरफ से पेश किए दस्तावेजों की जांच करके बताए कि वह घटना के समय नाबालिग था या नहीं। इसके लिए जेजे बोर्ड हाई स्कूल और इंटरमीडिएट के सर्टिफिकेट की जांच करें। इसको बोर्ड ने जांच में पाया कि उसकी सही जन्मतिथि 16 मई 1986 है और अपराध के समय उसकी उम्र 17 साल 07 महीने और 23 दिन थी।
कोर्ट ने कहा, “लखनऊ की संबंधित जेल के वरिष्ठ अधीक्षक द्वारा जारी 1 अगस्त 2021 के प्रमाण पत्र में दर्ज है कि 1 अगस्त 2021 तक आवेदक 17 साल 03 दिन की सजा काट चुका है। इसलिए अब आवेदक को किशोर न्याय बोर्ड के पास भेजना अन्याय होगा।”
सुप्रीम कोर्ट ने जेजे बोर्ड JJ Board की रिपोर्ट पर विचार किया और फिर कहा कि रिपोर्ट में कहा गया है कि वह घटना के वक्त नाबालिग था। जेजे एक्ट के तहत मामला जेजे बोर्ड में चलता है और अधिकतम तीन साल स्पेशल होम में रखने का प्रावधान है। मौजूदा मामले में आरोपी 17 साल जेल काट चुका है ऐसे में अब इसका कोई औचित्य नहीं है।
न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति अभय एस ओका की पीठ ने आरोपी को जूवेनाइल मानते हुए रिहा करने का निर्देश दिया है।
केस टाइटल – Sanjay patel & Others Vs The State of Uttar Pradehs
केस नंबर – SPECIAL LEAVE PETITION (CRL.) No.5604 of 2009
कोरम -न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति अभय एस ओका