सुप्रीम कोर्ट ने “जानबूझकर आज्ञा का उल्‍लंघन” करने पर स्टेट बैंक को लगाई फटकार, अवमानना कार्रवाई की दी चेतावनी

सुप्रीम कोर्ट ने “जानबूझकर आज्ञा का उल्‍लंघन” करने पर स्टेट बैंक को लगाई फटकार, अवमानना कार्रवाई की दी चेतावनी

चुनावी बॉन्‍ड ELECTORAL BOND के मामले में सुप्रीम कोर्ट SUPREME COURT ने सोमवार को पिछले महीने के आदेश की “जानबूझकर आज्ञा का उल्‍लंघन” करने के लिए भारतीय स्टेट बैंक को कड़ी फटकार लगाई। चुनावी बॉन्‍ड के दाताओं और प्राप्तकर्ताओं के बारे में डेटा 6 मार्च तक जारी किया जाना चाहिए था। मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने एसबीआई SBI को अवमानना ​​की चेतावनी दी और कहा कि कल तक यह डेटा जारी होना चाहिए, अगर ऐसा नहीं होता है, तो कार्रवाई की जाएगी।

चुनावी बॉन्‍ड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को 12 मार्च को कामकाजी घंटे समाप्त होने तक चुनावी बॉण्ड संबंधी विवरण का खुलासा करने का निर्देश दिया। साथ ही निर्वाचन आयोग को एसबीआई द्वारा साझा की गई जानकारी 15 मार्च तक प्रकाशित करने के लिए कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्‍ड संबंधी जानकारी का खुलासा करने के लिए 30 जून तक का समय दिए जाने का अनुरोध करने वाली एसबीआई की याचिका खारिज कर दी है।

सुप्रीम कोर्ट ने 23 फीसदी बाजार हिस्सेदारी के साथ भारत के सबसे बड़े बैंक एसबीआई के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक को अपने नए निर्देश का पालन करने के बाद एक हलफनामा दाखिल करने का भी निर्देश दिया। अदालत ने कहा, “हालाँकि, हम इस समय अवमानना ​​क्षेत्राधिकार का प्रयोग करने के इच्छुक नहीं हैं, हम एसबीआई को नोटिस देते हैं कि यदि वे आदेश में बताई गई समयसीमा के निर्देशों का पालन नहीं करती है, तो अदालत जानबूझकर आज्ञा का उल्‍लंघन करने के लिए उसके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए इच्छुक हो सकती है।”

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सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने भारतीय स्टेट बैंक से सोमवार को पूछा कि उसने चुनावी बॉन्‍ड योजना को पिछले महीने रद्द किए जाने से पहले राजनीतिक दलों द्वारा भुनाए गए बॉन्‍ड संबंधी जानकारी उपलब्ध कराने के लिए अभी तक क्या कदम उठाए हैं। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने अहम सुनवाई की शुरुआत करते हुए कहा कि उसने एसबीआई से न्यायालय के निर्णय के तहत ‘स्पष्ट खुलासा’ करने को कहा था।

सुप्रीम कोर्ट पीठ में प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ समेत न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल हैं। पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 15 फरवरी को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए केंद्र की चुनावी बॉण्ड योजना को रद्द कर दिया था और इसे ‘असंवैधानिक’ करार देते हुए निर्वाचन आयोग को चंदा देने वालों, चंदे के रूप में दी गई राशि और प्राप्तकर्ताओं का 13 मार्च तक खुलासा करने का आदेश दिया था।

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