सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम रक्षा आवश्यकताओं की अनदेखी नहीं कर सकते,’चीन सीमा पर चौड़ी सड़कें जरूरी’-

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कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा- क्या हम चाहेंगे 1962 की स्थिति दोबारा आए-

चार धाम परियोजना के लिए सड़क की चौड़ाई बढ़ाने के मामले में केंद्र सरकार की तरफ से AG केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट में दलीलें रखीं. केके वेणुगोपाल ने भारत-चीन सीमा की ओर जाने वाली सड़क को 10 मीटर चौड़ा करने के लिए कोर्ट से अनुमति मांगते हुए कहा कि चीन के साथ सीमा विवाद की वजह से सड़कों को चौड़ा करने की आवश्यकता है.

AG ने कोर्ट से कहा कि चीन की सीमा तक जाने वाली सड़क को पहले 5.5 मीटर से 10 मीटर तक चौड़ा करने की जरूरत है. परिस्थितयों को देखते हुए यदि कभी भी भारी सैनिक साजो सामान ले जाने की जरूरत पड़े तो सेना आसानी से आ जा सके.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम सुरक्षा चिंता को नजरअंदाज नहीं कर सकते. हमें हाल के दिनों में सीमा पर हुई घटनाओं को भी ध्यान में रखना होगा. हम रक्षा आवश्यकताओं की अनदेखी नहीं कर सकते.

केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि चीन की ओर से हालिया घटनाक्रम को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. हिमनदों के पिघलने का कारण केवल सड़कों के निर्माण या चौड़ीकरण नहीं, कार्बन फुटप्रिंट भी इसका एक कारण है.

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने पूछा कि क्या आपको सीमा के दूसरी ओर निर्माण के बारे में कोई जानकारी है?

कोर्ट ने साथ ही याचिकाकर्ता से ये भी पूछा कि क्या हम चाहेंगे कि साल 1962 की स्थिति दोबारा आए?

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इस दौरान AG ने कोर्ट को बताया कि अभी तक तंगलांग ला और कांग ला पास जैसी कई जगह अधिकांश कच्चे रास्ते हैं. वहां पूरी सड़कें भी नहीं हैं. वहीं, NGO ग्रीन दून सिटिजन की ओर से कॉलिन गोंजाल्विस ने कहा कि भारतीय सेना केवल राजनीतिक प्रतिष्ठान की सनक का पालन कर रही थी और वह वास्तव में मौजूदा सड़कों से खुश थी जो तीर्थयात्रा को चार धाम से जोड़ती है. साथ ही यह भी कहा कि चार धाम यानी गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को जोड़ने वाली सड़क का विकास करेगी और हिंदू तीर्थयात्रा को 900 किलोमीटर की सड़क बना कर आसान बनाना चाहती है.

दरअसल सुप्रीम कोर्ट में चार धाम यात्रा के फर्स्ट स्टेज को वन मंजूरी और चार धाम की ओर जाने वाली सड़क के सुधार और विस्तार के लिए दी गई वन्यजीव मंजूरी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हो रही है. इस परियोजना के लिए कथित तौर पर बड़े पैमाने पर वन की कटाई हुई है.

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