Scadv

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पड़ी, वकील कानून से ऊपर नहीं, उनको भी न्याय में बाधा डालने के परिणाम भुगतने पड़ेंगे-

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि वकील कानून से ऊपर नहीं हैं. उनको भी न्याय में बाधा डालने के लिए परिणाम भुगतने पड़ेंगे. ऐसे वकील कानूनी पेशे पर कलंक हैं और इससे सख्ती से निपटा जाना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट Supreme Court ने कोर्ट की अवमानना के एक मामले में सोमवार को सुनवाई की. इस दौरान शीर्ष अदालत ने जजों को सॉफ्ट टारगेट बनाए जाने की बढ़ती प्रवृत्ति पर चिंता जताई. साथ ही कहा कि जजों के खिलाफ आरोप लगाना या जानलेवा हमले करना अब फैशन बन गया है. हर मामले में कोर्ट या जजों पर निशाना साधना उचित नहीं है.

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि लोग ये ध्यान रखें कि जज जितने मजबूत होंगे, आरोप उतने ही खराब होंगे.

शीर्ष अदालत ने जजों को निशाना बनाने के बढ़ते ट्रेंड पर चिंता जताई. कोर्ट ने कहा कि जजों के खिलाफ आरोप लगाना अब फैशन बन गया है. ये महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा है. जज जितने मजबूत होंगे, आरोप उतने ही खराब होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही अदालत की अवमानना ​​के आरोप में एक वकील को दी गई 15 दिन की कैद की सजा को बरकरार रखा. मद्रास हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रखा गया.

सुप्रीम कोर्ट ने अदालत की अवमानना ​​के आरोप में एक वकील को दी गई 15 दिन कैद की सजा वाला मद्रास हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रखा.

याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हाल के वर्षों में जजों पर हमले करने का ट्रेंड देशभर में दिखा है. जजों पर हमले हो रहे हैं. जिला मुख्यालयों में भी जजों की कोई सुरक्षा नहीं है. कई जगहों पर तो ऐसे अवसर भी आए हैं, जब जजों को सुरक्षा के लिए लाठी वाला पुलिसकर्मी भी नहीं मिलता.

ALSO READ -  सुप्रीम कोर्ट : बहुविवाह-निकाह हलाला पर PIL, होगी सुनवाई, पांच जजों संविधान पीठ गठित की जाएगी

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि वकील कानून से ऊपर नहीं हैं. उनको भी न्याय में बाधा डालने के लिए परिणाम भुगतने पड़ेंगे. ऐसे वकील कानूनी पेशे पर कलंक हैं और इससे सख्ती से निपटा जाना चाहिए. जज ने उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया लेकिन 100 वकीलों ने चाय की दुकान पर वारंट की तामील नहीं करने दिया. जब मामला वापस आया तो उन्होंने जज पर आरोप लगाए. दो सप्ताह की कैद वास्तव में एक बहुत ही उदार अभ्यास है.

उन्‍होंने कहा कि जब वह दो सप्ताह के लिए जेल जाएगा और जब उसे प्रैक्टिस से रोक दिया जाएगा तो उसे कुछ पछतावा होगा. कुछ हाईकोर्ट में जजों को पूरी तरह से धमकाने की प्रथा बन गई है. कहा जाता है कि मेरे खिलाफ नॉन बैलब्ले वारंट NBW जारी करने की हिम्मत न करें. आप बेबुनियाद आरोप नहीं लगा सकते. वकील भी कानून की प्रक्रिया के अधीन हैं. यह बॉम्बे, यूपी, मद्रास में बड़े पैमाने पर हो रहा है. ‘हालांकि वकील का कहना थी कि उन्होंने बिना शर्त माफी मांग ली है लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया.

Translate »
Scroll to Top