केंद्र सदस्यों की नियुक्ति न करके ट्रिब्यूनल को कमजोर कर रहा है, सशस्त्र बलों के ट्रिब्यूनलों में भी पद खाली हैं-

9f6c11c0662b411e33e446799f257f240c7ecd8d66fc41548736724657316b2b e1627524557669

चीफ जस्टिस ने जजों की नियुक्ति के मामले में केंद्र सरकार की तारीफ-

देश की सर्वोच्च अदालत ने ट्रिब्यूनल सुधार एक्ट और नियुक्तियों में हो रही देरी पर केंद्र सरकार को फटकार लगाई है. चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि हमें लगता है कि केंद्र को इस अदालत के फैसलों का कोई सम्मान नहीं है. फिलहाल कोर्ट ने मामले की सुनवाई को अगले हफ्ते (सोमवार) तक के लिए टाल दिया है. साथ ही अवमानना की कार्रवाई की चेतावनी भी दी.

अब सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को ट्रिब्यूनलों में नियुक्ति के लिए एक हफ्ते का वक्त दिया है. कहा है कि हमें उम्मीद है कि केंद्र नियुक्तियों के आदेश जारी करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर केंद्र ने नियुक्तियां नहीं की तो अदालत आदेश जारी करेगी.

कोर्ट ने कहा कि पिछली सुनवाई में भी पूछा गया था कि आपने (केंद्र) ट्रिब्यूनलों में कितनी नियुक्तियां की हैं. हमें बताइए कि कितनी नियुक्तियां हुई हैं. केंद्र को फटकार लगाते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि लगता है कि केंद्र को इस अदालत के फैसलों का कोई सम्मान नहीं है. केंद्र कोर्ट के धैर्य की परीक्षा ले रहा है.

चीफ जस्टिस ने केंद्र सरकार की तारीफ-

चीफ जस्टिस ने जजों की नियुक्ति के मामले में केंद्र सरकार की तारीफ भी की. पिछले ही दिनों 9 जजों ने सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में शपथ ली है. लेकिन कोर्ट ने आगे कहा कि ट्रिब्यूनल्स के लिए सदस्यों की नियुक्ति में हो रही देरी पर चिंता जताई और इसका कारण भी पूछा. कोर्ट ने कहा कि देरी समझ से परे है. कोर्ट ने कहा कि NCLT में पद खाली हैं.

ALSO READ -  National Company Law Tribunal: गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया ने 11 न्यायिक और 10 तकनीकी सदस्य नियुक्त किये-

सुप्रीम कोर्ट ने कहा हमारे पास तीन विकल्प

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उनके पास तीन विकल्प हैं.

1.पहला कि ट्रिब्यूनल सुधार एक्ट 2021 कानून पर रोक लगा दें.

2.दूसरा कि ट्रिब्यूनलों को बंद कर दें.

3.तीसरा कि सुप्रीम कोर्ट खुद ही ट्रिब्यूनलों में नियुक्ति करें. साथ ही कहा कि ऐसा करने के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट सरकार के खिलाफ अवमानना की कार्रवाही शुरु करने पर भी विचार कर सकता है.

जस्टिस नागेश्वर रॉव ने कहा कि हम जिन ट्रिब्यूनलों की सिफारिशों के बारे में बात कर रहे हैं, वे इस सुधार विधेयक के अस्तित्व में आने से 2 साल पहले भेजे गए थे. लेकिन अबतक नियुक्ति नहीं हुई.

वहीं जस्टिस डीवीई चंद्रचूड ने कहा कि मेरे पास IBC के बहुत मामले आ रहे हैं जो कि कॉरपोरेट के लिए बहुत जरूरी है. NCLAT और NCLT में नियुक्तियां नहीं हुई हैं जिससे केसों की सुनवाई नहीं हो रही है.

कोर्ट ने आगे कहा कि सशस्त्र बलों के ट्रिब्यूनलों में भी पद खाली हैं, इसलिए सभी याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट के पास आ रही हैं. कहा गया कि केंद्र सदस्यों की नियुक्ति न करके ट्रिब्यूनल को कमजोर कर रहा है.

Translate »