नाबालिग बेटी का बाल देखभाल संस्थान में किया गया जबरन धर्म परिवर्तन, मां ने जेजे एक्ट के प्रावधानों को दी चुनौती और माँगा रुपया 5 करोड़ का मुआवजा-

नाबालिग बेटी का बाल देखभाल संस्थान में किया गया जबरन धर्म परिवर्तन, मां ने जेजे एक्ट के प्रावधानों को दी चुनौती और माँगा रुपया 5 करोड़ का मुआवजा-

दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) मॉडल नियम, 2016 बाल कल्याण समितियों की संरचना, कार्य और शक्ति से संबंधित, के विभिन्न प्रावधानों के खिलाफ दायर एक याचिका पर नोटिस जारी किया।

एक माँ ने शुक्रवार को दिल्ली हाई कोर्ट में गुहार लगाते हुए दावा किया कि उनकी नाबालिग बेटी के साथ एक बाल देखभाल संस्थान में क्रूर व्यवहार किया गया और उसका जबरन धर्म परिवर्तन किया गया। बाल कल्याण समिति (चाइल्ड वेलफेयर कमेटी) ने नाबालिग लड़की को बाल देखभाल संस्थान भेजा था।

मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने नोटिस जारी कर केंद्र और दिल्ली सरकार से याचिका पर जवाब मांगा। याचिका में, याचिकाकर्ता और उनकी नाबालिग बेटी के मौलिक अधिकारों के कथित उल्लंघन के लिए रुपये पांच करोड़ का मुआवजा का भी मांग किया गया है।

अदालत ने अधिकारियों को जवाब देने के लिए समय देते हुए मामले में अगली सुनवाई के लिए नौ अप्रैल की तारीख तय की।

याचिका में कहा गया है-

“किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) मॉडल नियम, 2016 के नियम 76 (2) (i) और नियम 76 (2) (ii) के तहत बाल देखभाल संस्थान के अंदर एक बच्चे के खिलाफ किए गए क्रूरता के मामलों की रिपोर्टिंग की योजना मनमानी है, क्योंकि अधिकारों के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार लोगों को इसकी रिपोर्ट करने की विशेष जिम्मेदारी सौंपी जाती है और यह उस बच्चे को न्याय से वंचित करना है जो अपराधियों के पूर्ण नियंत्रण में है।”

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याचिका में आरोप लगाया गया है कि किशोर न्याय कानून के प्रावधानों से सीडब्ल्यूसी को मनमाने अधिकार मिले हैं जिससे महिला और उनकी बेटी के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है। याचिका में दावा किया गया कि महिला की नाबालिग बेटी को दो गैर सरकारी संगठनों के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने फंसाया और बच्चे के यौन शोषण की झूठी प्राथमिकी दर्ज करायी गयी और लड़की को मॉडल नियमों का उल्लंघन करते हुए पांच दिनों के बाद Child Welfare Committee के समक्ष पेश किया गया।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि बच्ची को मनमाने ढंग से संस्थागत देखभाल में भेज दिया गया, जहां उसकी मां की सहमति के बिना उसका ईसाई धर्म में धर्म परिवर्तन करवा दिया गया और पांच महीने से भी अधिक समय तक उसके साथ क्रूर व्यवहार कर शोषण किया गया।

केस टाइटल – सुशीला देवी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया

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