जम्मू और कश्मीर में बार काउंसिल की स्थापना के लिए सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में दावा किया गया कि जम्मू और कश्मीर में वर्तमान में कोई बार काउंसिल नहीं है, और वकील जम्मू और कश्मीर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन में सदस्यता लेते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू और कश्मीर में एक बार काउंसिल की स्थापना की मांग को लेकर केंद्र, बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) और अन्य को नोटिस जारी किया है. बार काउंसिल की मांग में कश्मीर एडवोकेट्स एसोसिएशन ने दावा किया कि राज्य में बार काउंसिल नहीं होने की वजह से उसका काम जम्मू एंड कश्मीर एवं लद्दाख हाई कोर्ट को करना पड़ रहा है. साथ ही बार काउंसिल की वजह से वकीलों कई सारी योजनाओं से वंचित रहना पड़ रहा है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने किसी तरह की अंतरिम राहत देने से इंकार करते हुए इस मामले की सुनवाई को स्थगित किया है. बता दें कि राज्य बार काउंसिल एक वैधानिक निकाय है जो कानून के स्नातकों को वकीलों के रूप में एनरोलमेंट करने और राज्य में लॉ की प्रैक्टिस करने को नियंत्रित करती है और एडवोकेट एक्ट 1961 की धारा 3, हर राज्य में बार काउंसिल की स्थापना को अनिवार्य करती है.
J&K बार काउंसिल की मांग सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जबाव
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की एक बेंच ने कश्मीर एडवोकेट्स एसोसिएशन की ओर से पेश हुए एडवोकेट जाविद शाह द्वारा प्रस्तुत किए गए सबमिशन पर ध्यान दिया. जम्मू एंड कश्मीर एडवोकेट एसोसिएशन की ओर से पेश एडवोकेट शाह ने दावा किया कि बार काउंसिल के अभाव में, उच्च न्यायालय संबंधित कार्य कर रहा है. उन्होंने तर्क किया कि हाई कोर्ट को बार काउंसिल के कार्यों को संभालना उचित नहीं है.
जस्टिस विक्रम नाथ ने बीच में ही कहा कि अदालत अंतरिम आदेश नहीं दे सकती. जस्टिस ने आगे कहा कि “अब तक जो भी प्रणाली है, वह जारी रहेगी. क्या उच्च न्यायालय एक पार्टी है? नोटिस जारी करें और उन्हें आने दें.” इसके बाद बेंच ने केंद्र, बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) और अन्य को नोटिस जारी करते हुए मामले की सुनवाई चार सप्ताह बाद करने के निर्देश दिए हैं.
जम्मू एंड कश्मीर में बार कौंसिल की मांग-
जम्मू एंड कश्मीर के अधिवक्ता जाविद शाह ने कहा कि जम्मू और कश्मीर में बार काउंसिल की आवश्यकता है. याचिकाकर्ता ने बताया कि वर्तमान में, जम्मू और कश्मीर में कोई बार काउंसिल नहीं है और वकील जम्मू और कश्मीर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन में सदस्यता लेते हैं और बार काउंसिल की अनुपस्थिति में उनकी पेशेवर गतिविधियां प्रभावित हो रही हैं. एडवोकेट ने अंतरिम राहत की मांग करते हुए कहा कि सरकार द्वारा जारी वेल्फेयर स्टॉम्प (Welfare Stamp) की जरूरत है, जो सामान्यत: बार काउंसिल द्वारा प्रकाशित होते हैं. राज्य बार काउंसिल ना होने की वजह से अधिवक्ताओं को और भी कई लाभों से वंचित हो रहे हैं.
वेल्फेयर स्टॉम्प (Welfare Stamp) राज्य की ओर से जारी टिकट होते हैं, जो वकील वकालतनामा आदि पर लगाते हैं. वहीं, इस स्टॉम्प से होने वाली आय अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए खर्च की जाती है.
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