सुप्रीम कोर्ट ने नकद लेनदेन (₹2 लाख से अधिक) वाले मामलों में आयकर विभाग को सूचित करना अनिवार्य किया

सुप्रीम कोर्ट ने नकद लेनदेन (₹2 लाख से अधिक) वाले मामलों में आयकर विभाग को सूचित करना अनिवार्य किया

 

⚖️ सुप्रीम कोर्ट ने नकद लेनदेन (₹2 लाख से अधिक) वाले मामलों में आयकर विभाग को सूचित करना अनिवार्य किया

मामला:
🧾 RBANMS एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन बनाम बी. गुना शेखर एवं अन्य
🆔 न्यूट्रल सिटेशन: 2025 INSC 490
👨‍⚖️ पीठ: न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला एवं न्यायमूर्ति आर. महादेवन


🧾 पृष्ठभूमि (Brief Facts):

  • प्रतिवादी (Plaintiffs) ने एक संपत्ति बिक्री समझौते (Agreement to Sell) के आधार पर स्थायी निषेधाज्ञा (Permanent Injunction) की याचिका दायर की।
  • अपीलकर्ता (Appellant) ने दावा किया कि उक्त समझौता केवल विक्रेताओं के विरुद्ध अधिकार उत्पन्न करता है, न कि किसी तीसरे पक्ष (जैसे कि अपीलकर्ता) के विरुद्ध।
  • अपीलकर्ता ने Order VII Rule 11(a) और (d) CPC के तहत याचिका दायर कर वाद पत्र (plaint) खारिज करने की मांग की।
  • ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट ने अपीलकर्ता की याचिका खारिज कर दी थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई।

⚖️ सुप्रीम कोर्ट का विश्लेषण (Court’s Reasoning):

  • प्रतिवादियों ने ₹75 लाख नकद भुगतान करने का दावा किया था, जबकि धारा 269ST (परिचय वर्ष 2017) के तहत ₹2 लाख से अधिक नकद लेन-देन प्रतिबंधित है।
  • कोर्ट ने कहा कि:

🗣️ “₹75,00,000/- का नकद भुगतान न केवल लेन-देन पर संदेह उत्पन्न करता है बल्कि स्पष्ट रूप से कानून का उल्लंघन भी प्रदर्शित करता है।”

  • कोर्ट ने यह भी माना कि ऐसा नकद लेन-देन “काले धन (black money)” को बढ़ावा देता है और डिजिटल अर्थव्यवस्था के खिलाफ है, जिसे सरकार बढ़ावा देना चाहती है।
  • न्यायालय ने कहा कि उक्त विवादास्पद दस्तावेज़ (Agreement to Sell) कोई कानूनी अधिकार अपीलकर्ता पर नहीं बनाता और ऐसे में वाद पत्र को खारिज किया जाना चाहिए था।
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📜 सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण निर्देश (Binding Directions):

  1. 🏛 यदि किसी वाद में ₹2 लाख या उससे अधिक की नकद राशि भुगतान का दावा किया जाए, तो न्यायालय को संबंधित क्षेत्रीय आयकर विभाग को सूचित करना अनिवार्य होगा।
  2. 🧾 आयकर विभाग को ऐसे मामलों में उचित प्रक्रिया (due process) का पालन करते हुए आवश्यक कार्रवाई करनी होगी।
  3. 🏠 यदि किसी संपत्ति के पंजीकरण दस्तावेज़ में ₹2 लाख या उससे अधिक की नकद राशि का दावा किया गया हो, तो सब-रजिस्ट्रार को भी आयकर विभाग को सूचित करना होगा।
  4. 🔍 यदि किसी तलाशी या मूल्यांकन (assessment) के दौरान यह ज्ञात होता है कि नकद लेन-देन हुआ है और रजिस्ट्रार द्वारा सूचना नहीं दी गई, तो संबंधित राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के मुख्य सचिव को अवगत कराना होगा ताकि विभागीय कार्रवाई हो सके।

🧑‍⚖️ प्रतिवादियों को नहीं मिला राहत, सुप्रीम कोर्ट ने वाद पत्र खारिज करने का आदेश दिया

  • सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेशों को रद्द किया।
  • अपील स्वीकृत (allowed) की गई और वाद पत्र (plaint) को Order VII Rule 11(a) एवं (d) CPC के तहत खारिज किया गया।

⚖️ प्रतिनिधित्व (Representation):

  • अपीलकर्ता की ओर से: अधिवक्ता असीमिता सिंह (AOR)
  • प्रतिवादियों की ओर से: अधिवक्ता अब्राहम मैथ्यूज़

📌 महत्वपूर्ण सीख (Key Takeaway):

₹2 लाख या उससे अधिक नकद भुगतान को अब केवल संदेह की दृष्टि से नहीं, बल्कि एक स्पष्ट संभावित कानून उल्लंघन के रूप में देखा जाएगा, और इस पर स्वतः संज्ञान लेकर आयकर विभाग को जानकारी देना अब अदालतों की जिम्मेदारी होगी।

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