सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के निर्णय को ख़ारिज करते हुए कहा कि: आपराधिक अपील को केवल इसलिए खारिज नहीं किया जा सकता कि अपीलकर्ता ने सजा काट ली है-

सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के निर्णय को ख़ारिज करते हुए कहा कि: आपराधिक अपील को केवल इसलिए खारिज नहीं किया जा सकता कि अपीलकर्ता ने सजा काट ली है-

सुप्रीम कोर्ट Supreme Court ने कहा कि अपीलकर्ता ने कारावास की सजा काट ली है और जुर्माना जमा कर दिया है, लेकिन फिर भी वह अपनी दोषसिद्धि को चुनौती देने की मांग कर रहा है।

सर्वोच्च न्यायलय ने अपने निर्णय में कहा कि दोषसिद्धि के खिलाफ अपील को केवल इसलिए खारिज नहीं किया जा सकता है कि दोषी अपीलकर्ता ने ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई सजा को पूरा कर लिया है।

न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने कहा कि अपील को केवल इसलिए खारिज नहीं किया जा सकता है कि दोषी अपीलकर्ता ने सजा काट ली है। इस मामले में अपीलकर्ता-दोषी द्वारा दायर एक नियमित आपराधिक अपील को पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि अपीलकर्ता के लिए कोई भी पेश नहीं हुआ था।

कोर्ट ने राज्य के वकील की इस दलील को भी स्वीकार कर लिया था कि अपील इस वजह से निष्फल हो गई कि अपीलकर्ता ने सजा काट ली है। दरअसल, आरोपी-अपीलकर्ता को नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 की धारा 18 के तहत दोषी ठहराया गया था और पांच महीने का कारावास की सजा के साथ 3,000 रुपए का जुर्माना भरने की सजा सुनाई गई थी।

उच्चतम न्यायालय के समक्ष अपीलकर्ता ने तर्क दिया कि अपील के प्रारंभिक चरण में भी यह विशेष रूप से न्यायालय के समक्ष बताया गया कि अपीलकर्ता ने कारावास की सजा काट ली है और जुर्माना जमा कर दिया है, लेकिन फिर भी वह अपनी दोषसिद्धि को चुनौती देने की मांग कर रहा है।

ALSO READ -  इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने दोषसिद्धि के खिलाफ लंबित अपील के बजाय जमानत याचिका पर बहस करने के अधिवक्ताओं के इस प्रैक्टिस पर, की निंदा-

यह तर्क दिया गया कि दोषसिद्धि के खिलाफ अपील को केवल इस कारण से निष्फल नहीं माना जा सकता कि दोषी अपीलकर्ता ने ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई सजा को पूरा कर लिया है। पीठ ने इस तर्क पर सहमति जताते हुए कहा, “प्रतिवादी के वकील ने अपीलकर्ता की सजा का समर्थन करने का प्रयास किया है, लेकिन इस स्थिति पर विवाद नहीं हो सकता है कि केवल सजा के निष्पादन के लिए, दोषसिद्धि के खिलाफ अपील को निष्फल नहीं माना जा सकता है।”

अदालत ने आगे कहा कि चूंकि उच्च न्यायालय के समक्ष मामला दोषसिद्धि के खिलाफ अपील था, यदि किसी कारण से अपीलकर्ता के लिए कोई उपस्थित नहीं था, तो उच्च न्यायालय अपीलकर्ता की ओर से प्रतिनिधित्व के लिए उचित कदम उठा सकता था। अदालत ने कहा कि किसी भी मामले में अपील को निष्फल मानकर खारिज नहीं किया जा सकता है।

न्यायलय ने पंजाब & हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द करते हुए अपीलकर्ता द्वारा उच्च न्यायालय के समक्ष दायर अपील को मैरिट के आधार पर विचार के लिए बहाल कर दिया।

केस टाइटल – गुरजंत सिंह बनाम पंजाब राज्य
केस नंबर – सीआरए 1385 -1386 ऑफ 2021
कोरम – न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ

Translate »
Scroll to Top