सुप्रीम कोर्ट को जमानत याचिकाओं या बिना कारण जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर न्यायलय का समय व्यर्थ नहीं करना चाहिए, वो एक संवैधानिक कोर्ट है – किरेन रिजिजू

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कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने बुधवार को राज्यसभा में बोलते हुए कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट जमानत याचिकाओं और तुच्छ जनहित याचिकाओं पर सुनवाई शुरू करता है, तो यह अदालत पर बोझ पैदा करेगा, क्योंकि यह एक संवैधानिक अदालत है।

उन्होंने कहा कि न्यायपालिका को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पात्र लोगों को न्याय मिले और अनावश्यक बोझ का भी ध्यान रखा जाए। मंत्री ने न्याय के त्वरित वितरण के महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा – “अगर भारत का सर्वोच्च न्यायालय जमानत याचिकाओं पर सुनवाई शुरू करता है, अगर भारत का सर्वोच्च न्यायालय सभी तुच्छ जनहित याचिकाओं पर सुनवाई शुरू करता है, तो निश्चित रूप से इससे माननीय न्यायालय पर बहुत अधिक अतिरिक्त बोझ पड़ेगा, क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय को कुल मिलाकर एक संवैधानिक कोर्ट माना जाता है।”

उच्च सदन में नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (संशोधन) विधेयक पारित होने से पहले मंत्री ने यह बात कही। संशोधन के बाद इसे इंडिया इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर कहा जाएगा।

लंबित मामलों और अदालतों द्वारा दी जा रही जानकारी के बारे में सदस्यों द्वारा उठाए गए सवाल पर मंत्री ने यह कहते हुए जवाब दिया कि सुप्रीम कोर्ट में करीब 70,000 मामले लंबित हैं और उन्होंने अदालत से उन मामलों को लेने की अपील की है जो लेने के लिए प्रासंगिक और उपयुक्त हैं।

मंत्री ने नगरों के नाम वाले उच्च न्यायालयों के नाम बदलने के लिए सदस्यों द्वारा अनुरोध किए जा रहे मुद्दे पर भी ध्यान दिया। उन्होंने कहा, “कुछ उच्च न्यायालय हैं जो शहरों के नाम पर हैं, कुछ उच्च न्यायालय हैं जो राज्य के नाम पर हैं। इसलिए, इसमें भिन्नताएं हैं और मैं निश्चित रूप से माननीय न्यायाधीशों के साथ चर्चा करूंगा।”

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निचली अदालतों में 4.25 करोड़ से अधिक मामले लंबित होने की ओर इशारा करते हुए कानून मंत्री ने कहा कि हमें न्यायपालिका से यह सुनिश्चित करने के लिए कहना होगा कि योग्य लोगों को न्याय मिले और अनावश्यक बोझ का भी ध्यान रखा जाए। उन्होंने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए सब कुछ करेगी कि मामलों की लंबितता कम हो।

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