पेंशन लाभ योजना के कार्यान्वयन में पंजाब सरकार की लापरवाही
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब की भगवंत मान सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए राज्य के मुख्य सचिव को अवमानना मामले में नोटिस जारी किया है। अदालत ने पंजाब सरकार को आदेश दिया है कि वह 24 मार्च तक अपना जवाब दाखिल करे। यह मामला पंजाब में सहायता प्राप्त कॉलेजों में पेंशन लाभ योजना के कार्यान्वयन में सरकारी लापरवाही से जुड़ा हुआ है।
पंजाब सरकार के दावे पर नाराजगी
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार के उस दावे पर भी नाराजगी जताई, जिसमें कहा गया था कि कार्यपालिका द्वारा दिए गए अतिरिक्त महाधिवक्ता के बयान राज्य के लिए बाध्यकारी नहीं होंगे। इस पर जस्टिस अभय एस ओका ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “अब से हम पंजाब सरकार का कोई भी मौखिक बयान स्वीकार नहीं करेंगे। अब हम वकील से संबंधित अधिकारी द्वारा हलफनामा दाखिल करवाएंगे।”
मुख्य सचिव से सुप्रीम कोर्ट का सवाल
मामले की सुनवाई के दौरान पंजाब के मुख्य सचिव वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए। इस दौरान जस्टिस ओका ने सरकार को कड़े शब्दों में कहा, “आज आप बयान दे रहे हैं कि आप याचिकाकर्ताओं को राहत देंगे या हमें अवमानना कार्यवाही जारी करनी चाहिए?”
सख्त रुख अपनाते हुए अदालत का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर और सख्त रुख अपनाया और कहा, “अधिकारियों को जेल जाने दीजिए, वे तभी सुधरेंगे। उसके बाद हम आपकी बात सुनेंगे।” यह बयान पंजाब सरकार के लिए एक स्पष्ट चेतावनी थी कि अब कोई भी मौखिक बयानबाजी स्वीकार नहीं की जाएगी, और अदालत के आदेशों का पालन केवल लिखित रूप में किया जाएगा।
पंजाब सरकार पर बढ़ा दबाव
सुप्रीम कोर्ट की इस सख्ती के बाद पंजाब सरकार पर दबाव बढ़ गया है। अदालत ने स्पष्ट कर दिया कि अब सरकार की ओर से केवल मौखिक बयानबाजी नहीं चलेगी, बल्कि उसे लिखित रूप से अदालत के निर्देशों का पालन करना होगा।
भगवंत मान सरकार को बड़ा झटका
यह घटना पंजाब सरकार के लिए एक बड़ा झटका साबित हो रही है, और अब देखना होगा कि पंजाब सरकार सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद क्या कदम उठाती है। सरकार को अब 24 मार्च तक अपना जवाब दाखिल करना है, जो अदालत के निर्देशों के पालन को लेकर महत्वपूर्ण साबित होगा।
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