दिल्ली की तिस हजारी कोर्ट ने नाबालिग से बलात्कार के दोषी को उम्रकैद की सजा सुनाई
दिल्ली की तिस हजारी कोर्ट ने गुरुवार को एक नाबालिग लड़की से बलात्कार और उसे गर्भवती करने के दोषी व्यक्ति को उम्रकैद की सजा सुनाई। यह मामला 2024 में निहाल विहार पुलिस स्टेशन में पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज किया गया था। दोषी, जो पीड़िता का पड़ोसी था और जिसे वह ‘अंकल’ कहती थी, ने पीड़िता के साथ विश्वासघात किया। पीड़िता के साथ हुए इस अमानवीय कृत्य के परिणामस्वरूप जन्मे बच्चे को गोद लेने के लिए दिया गया है।
न्यायालय की टिप्पणियां
“दोषी ने इस बात की परवाह नहीं की कि पीड़िता उसे ‘अंकल’ कहती थी और वह उसकी पड़ोसी की बेटी थी। भारतीय संस्कृति में जब माता-पिता कहीं जाते हैं, तो वे अपने बच्चों की देखभाल के लिए पड़ोसियों पर भरोसा करते हैं। दोषी ने इस विश्वास को तोड़ा है,” अदालत ने अपने आदेश में कहा। विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो) बबीता पुनिया ने दोषी को पॉक्सो एक्ट की धारा 6 के तहत आजीवन कारावास (जीवन के शेष भाग तक) की सजा सुनाई।
सजा और जुर्माना
“पॉक्सो अधिनियम की धारा 6 के तहत दोषी को कठोर आजीवन कारावास की सजा सुनाई जाती है, जिसका अर्थ है कि वह अपने प्राकृतिक जीवन के शेष समय तक जेल में रहेगा, और उसे 10,000 रुपये का जुर्माना देना होगा,” अदालत ने 10 मार्च को आदेश दिया।
अन्य कानूनी धाराएं
अदालत ने 30 जनवरी, 2025 को आरोपी को पॉक्सो एक्ट की धारा 5 (j) (ii) और (l) के साथ धारा 6, और आईपीसी की धारा 376 (2) (n)/506 भाग II के तहत दोषी ठहराया। हालांकि, धारा 376 (बलात्कार) के लिए कोई अलग सजा नहीं दी गई।
पीड़िता को मुआवजा
अदालत ने पीड़िता के पुनर्वास के लिए पीड़िता मुआवजा योजना के तहत 19.5 लाख रुपये का मुआवजा भी प्रदान किया।
अभियोजन पक्ष की दलील
विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) ने तर्क दिया कि दोषी ने बार-बार लड़की का बलात्कार किया, लेकिन मुकदमे के दौरान उसने अपने अपराध को स्वीकार नहीं किया और कभी भी पश्चाताप नहीं किया। अभियोजक ने अनुरोध किया कि समाज के हित में दोषी को वापस समाज में लौटने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
बचाव पक्ष की दलील
दूसरी ओर, आरोपी के वकील ने सजा में नरमी की मांग की। उन्होंने तर्क दिया कि दोषी 35 वर्ष का युवा है, जो अपनी वृद्ध मां, पत्नी और दो नाबालिग बच्चों का एकमात्र कमाने वाला है। वह अशिक्षित है, समाज के निचले तबके से आता है, और उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है।
अदालत का निष्कर्ष
अदालत ने बचाव पक्ष की दलीलों को खारिज कर दिया और दोषी को कठोरतम सजा सुनाई।
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