NDPS Case में वाणिज्यिक मात्रा तय करने के लिए नशीले ड्रग के पूरे वजन की गणना होनी चाहिए – हाईकोर्ट

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राजस्थान उच्च न्यायलय Rajusthan High Court ने नशीली दवा बेचने के मामले में जमानत याचिका पर सुनवाई करते समय कहा की मौजूदा प्रकरण में दवा में शामिल मादक पदार्थ के घटक की मात्रा नहीं बल्कि पूरी दवा के कुल वजन को आधार मानकर गणना की जाएगी.

न्यायमूर्ति पंकज भंडारी ने ख्यालीराम की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया की नशीली दवा बेचने के मामले में जेल में बंद आरोपी की जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा है कि प्रकरण में दवा में शामिल मादक पदार्थ के घटक की मात्रा नहीं बल्कि पूरी दवा के कुल वजन को आधार मानकर गणना की जाएगी.

प्रस्तुत याचिका में कहा गया कि दवा के 4464 कैप्सूल दुकान से बरामद हुए थे और दवा की दुकान का लाइसेंस अन्य व्यक्ति के नाम पर है. याचिकाकर्ता सिर्फ दवा की दुकान पर बैठा था. इसके अलावा कोटपूतली थाने में दर्ज किए गए समान मामले में बीस हजार 736 कैप्सूल बरामद होने पर हाईकोर्ट आरोपी को जमानत पर रिहा कर चुका है. वहीं, शाहपुरा थाने में दर्ज एक अन्य मामले में नौ हजार 072 कैप्सूल मिलने के मामले में भी हाईकोर्ट आरोपी को जमानत का लाभ दे चुका है.

ऐसे में याचिकाकर्ता को भी जमानत पर रिहा किया जाए, जिसका विरोध करते हुए गवर्नमेंट कौंसिल शेर सिंह महला ने कहा कि अन्य मामलों में अदालत ने दवा के अंदर मिले मादक पदार्थ के घटक की मात्रा वाणिज्यिक मात्रा से कम होने के आधार पर जमानत दी थी, जबकि सुप्रीम कोर्ट तय कर चुका है कि ऐसे मामलों में दवा में मिले मादक पदार्थ की मात्रा नहीं, बल्कि पूरी दवा की मात्रा ही देखी जानी चाहिए.

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याचिकाकर्ता के पास कुल 4464 कैप्सूल मिले थे. इनमें पांच फीसदी टर्माडोल Tramadol मिला हुआ था. ऐसे में नशीली दवा का कुल वजन तीन किलो नौ सौ ग्राम से अधिक होता है, जो कि वाणिज्यिक मात्रा का पन्द्रह गुणा से अधिक है. इसकी पांच फीसदी दवा के आधार पर गणना नहीं की जा सकती, जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. मामले के अनुसार 28 जुलाई 2020 को शाहपुरा थाना पुलिस ने आंतेला के पास दवा की दुकान पर कार्रवाई करते हुए बिना लाइसेंस नशीली दवा बेचते याचिकाकर्ता को पकड़ा था.

केस टाइटल – ख्यालीराम बनाम राजस्थान राज्य

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