कोर्ट ने जमानत रद्द करते हुए कहा की सिसोदिया के पास थी ’18 मंत्रालयों’ की जिम्मेदारी, उन्होंने अपनी जिम्मेदारी को निभाने में लोकतांत्रिक मूल्यों को रखा ताक पर

दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज की. अदालत ने जमानत रद्द करने के आदेश में अपने विचार को स्पष्ट किया. अदालत ने कहा, एक समय मनीष सिसोदिया के पास 18 मंत्रालयों की जिम्मेदारी थी, उन्होंने अपनी जिम्मेदारी को निभाने में लोकतांत्रिक मूल्यों को ताक पर रखा है.

जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने ED और CBI पर केस टालने के कथित आरोपों को भी खारिज किया.

अदालत ने स्पष्ट तौर पर कहा कि ED और CBI इस मामले की सुनवाई को नहीं टाल रही हैं. बता दें कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने मनीष सिसोदिया की ईडी और सीबीआई मामले में जमानत याचिका को खारिज करते हुए ये बातें कहीं.

हाई कोर्ट का सिसोदिया को जमानत से इंकार-

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दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा, मनीष सिसोदिया ने अपनी शक्ति का दुरुपयोग किया और आबकारी नीति तैयार करने में जनता के विश्वास को तोड़ा है. वे (मनीष सिसोदिया) बहुत प्रभावशाली हैं और अगर उन्हें जमानत दी गई तो वे सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं. उनके द्वारा गवाहों को प्रभावित करने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.

दिल्ली हाईकोर्ट ने आगे कहा, मनीष सिसोदिया उपमुख्यमंत्री थे, उनके पास 18 विभाग थे, ये दर्शाता है कि वे प्रभावशाली थे और सत्ता के केंद्र में थे. वे आप के वरिष्ठ नेता हैं, दिल्ली सरकार के गलियारों में उनका दबदबा है. मनीष सिसोदिया ने नीति पर आम नागरिकों के विचारों को शामिल करने के बजाय ‘एक योजना बनाई’. इस मामले में भ्रष्टाचार सिसोदिया की नीति बनाने की इच्छा से उत्पन्न हुआ, जिससे कुछ खास लोगों को लाभ पहुंचे और उन्हें रिश्वत मिले.

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दिल्ली उच्च न्यायालय ने ये भी कहा, मनीष सिसोदिया ने फर्जी जनमत बनाने की योजना बनाई, विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट से अलग हटकर काम किया. फर्जी ईमेल मांगे गए और जनता को गुमराह किया गया. ये एक स्वीकृत तथ्य है कि सिसोदिया अपने द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे दो फोन पेश करने में विफल रहे.

हाईकोर्ट ने अपने फैसले को स्पष्ट किया. साथ ही ट्रायल में हुई देरी के लिए अदालत ने कहा कि लंबी कार्यवाही के लिए ईडी, सीबीआई को दोषी नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि इसमें बहुत सारे रिकॉर्ड थे. दस्तावेजों की आपूर्ति में अभियोजन पक्ष द्वारा कोई देरी नहीं की गई, ट्रायल कोर्ट द्वारा कोई देरी नहीं की गई.

मामले में ‘AAP’ पार्टी को भी बनाया आरोपी-

जानकारी हो की विगत दिनों में ED द्वारा शराब नीति घोटाले में अपनी चार्जशीट दायर की गई जिसमे देश के राजनीतिक इतिहास में पहली बार किसी राजनीतिक पार्टी को आरोपी बनाया गया है. सूत्रों के अनुसार, राउज एवेन्यू कोर्ट ED की चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए कार्यवाही को आगे बढ़ा सकती है.

वहीं, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को एक जून तक की अंतरिम जमानत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को चुनाव प्रचार करने के देने के आधार पर अंतरिम जमानत दी थी.

जमानत ट्रायल से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक गए-

दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया शराब नीति घोटाले के आरोपों में पिछले सवा साल से जेल में बंद हैं.

जाने पूरा घटनाक्रम-

  • 26 फरवरी, 2023: सीबीआई ने मनीष सिसोदिया को भ्रष्टाचार गिरफ्तार किया.
  • 9 मार्च, 2023: ED ने मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाते हुए मनीष सिसोदिया हिरासत CBI से ली.
  • 31 मार्च, 2023: राउज एवेन्यू कोर्ट ने भ्रष्टाचार मामले में मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज की.
  • 28 अप्रैल, 2023: राउज एवेन्यू कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज की.
  • 30 मई, 2023: सीबीआई मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज की.
  • 3 जुलाई, 2023: उच्च न्यायालय ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज की.
  • 6 जुलाई, 2023: सिसोदिया ने दोनों मामले में, सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दायर की.
  • 30 अक्टूबर, 2023: सुप्रीम कोर्ट ने दोनों याचिका खारिज की.
  • 30 अप्रैल, 2024: राउज एवेन्यू कोर्ट ने CBI और ED मामलों में दोबारा से जमानत देने से इंकार किया.
  • 2 मई, 2023: सिसोदिया ने निर्णय के विरूद्ध हाईकोर्ट में अपील दायर की.
  • 14 मई, 2024: सुनवाई पूरी करने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसले को सुरक्षित रखा.
  • 21 मई, 2024: हाईकोर्ट ने दोनों याचिका खारिज की.

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