छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट Chattisgarh High Court के फैसले के बाद अब विधवा बहू अपने ससुराल वालों से भरण-पोषण को लेकर दावा कर सकती है।
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने फैमिली कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए यह फैसला दिया है।
न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी की डिवीजन बेंच ने कहा कि अगर पति की मौत के बाद ससुर बहू को घर से निकाल देता है, तो बहू के पास गुजारा भत्ता के लिए दावा करने का कानूनी अधिकार है।
हाईकोर्ट ने कहा-पति की मौत के बाद ससुराल से निकाली गई महिला का ऐसा दावा जायज है ।
उक्त निर्णय फैमिली कोर्ट के निर्देश को एक ससुर की तरफ से छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में दी गई चुनौती पेटिशन पर आया है।
विधवा बहू के ससुर ने पारिवारिक न्यायालय के फैसले को अवैधानिक बताया और कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम के तहत कोई भी महिला अपने पति से भरण पोषण के लिए दावा कर सकती है, लेकिन उसकी मौत के बाद ससुरालवालों पर दावा नहीं कर सकती इसलिए फैमिली कोर्ट के आदेश को निरस्त किया जाए।
क्या है मामला-
कोरबा छत्तीसगढ़ की एक युवती की शादी 2008 में हुई थी, लेकिन 2012 में उसके पति की अचानक मृत्यु हो गई। इसके बाद ससुराल वालों ने उसे घर से निकाल दिया और वो अपने मायके में रहने लगी। वर्ष 2015 में उसने जांजगीर-चांपा फैमिली कोर्ट में परिवाद दायर कर अपनी सुसराल से गुजारा भत्ता की मांग की। इस पर कोर्ट ने उसके हक में फैसला सुनाया और ससुर को आदेश दिया कि विधवा बहू को भरण पोषण के लिए राशि दे।
पारिवारिक न्यायालय Family Court के इस आदेश को ससुराल के लोगों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी और वहां भी बहू के हक में ही फैसला सुनाया गया।
कोर्ट ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम Hindu Marriage Act के तहत महिला के पति की मौत के बाद उसके भरण-पोषण की जिम्मेदारी ससुराल वालों की होती है। ऐसे में किसी विवाद के कारण या बहू को घर से बाहर निकाल दिया जाए तो, वो गुजारा-भत्ता के लिए दावा कर सकती है।
हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के 2500 रुपए भरण-पोषण की राशि में बदलाव करते हुए इसे 4000 रुपए प्रतिमाह बहू को देने का आदेश दिया है।