महिला जज ‘घरेलु हिंसा व् दहेज उत्पीड़न’ की शिकार, उच्च न्यायलय ने SP को तीस दिनों में जांच रिपोर्ट दाखिल करने का दिया आदेश-

महिला जज ‘घरेलु हिंसा व् दहेज उत्पीड़न’ की शिकार, उच्च न्यायलय ने SP को तीस दिनों में जांच रिपोर्ट दाखिल करने का दिया आदेश-

भीलवाड़ा के मांडल में तैनात एक महिला जज से घरेलू हिंसा और दहेज प्रताड़ना का मामला सामने आया है। महिला जज ACJM (एडिशनल चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट) के पद पर तैनात हैं। पूरे मामले में जोधपुर हाईकोर्ट ने भीलवाड़ा एसपी को 30 दिन में जांच कर रिपोर्ट पेश करने को कहा है।

मांडल में तैनात ACJM पूनम मीणा ने चित्तौड़गढ़ के बेगूं SDM मुकेश मीणा पर दहेज के लिए प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। महिला जज ने 5 जुलाई 2020 को पति के खिलाफ मारपीट का मुकदमा दर्ज करवाया था। भीलवाड़ा के महिला थाने में FIR दर्ज हुई थी। अब मारपीट और दहेज यातना के मामले में पुलिस ने पति RAS अधिकारी मुकेश मीणा के खिलाफ काेर्ट में चार्जशीट पेश कर दी। मामला दर्ज हाेने के करीब 14 महीने बीतने के बाद भी रिपोर्ट काेर्ट में पेश नहीं करने पर पिछले दिनाें हाईकोर्ट ने फटकार लगाई थी।

दहेज की मांग-

मांडल ACJM पूनम मीणा ने 5 जुलाई 2020 को पति जयपुर के टोंक फाटक निवासी मुकेश मीणा के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। इसमें बताया था कि उनका विवाह 19 अप्रैल 2018 काे मुकेश मीणा से हुआ था। मुकेश और उनके परिवार के सदस्य 5 लाख रुपए दहेज की मांग काे लेकर लगातार प्रताड़ित कर रहे थे।

सीसीटीवी फुटेज भी सामने आई-

आरोपी ने 30 जून 2020 काे पीड़िता से गंभीर मारपीट की, जिसका सीसीटीवी फुटेज भी सामने आई थी। भीलवाड़ा महिला थाना पुलिस मामले की जांच कर रही थी। बाद में इसकी जांच डीएसपी अजमेर ग्रामीण और उसके बाद एडीशनल एसपी सहाड़ा चंचल मिश्रा को दी गई। एएसपी मिश्रा का तबादला होने पर एएसपी सहाड़ा गोवर्धनलाल खटीक जांच कर रहे थे। उन्होंने जांच के बाद चार्जशीट महिला थाने को भिजवा दी। महिला थानाधिकारी शिल्पा भादविया ने इस मामले में आरोपी आरएएस अधिकारी मुकेश मीणा के खिलाफ भादसं की धारा 498 ए और 323 के तहत चार्जशीट जेएम-2 कोर्ट भीलवाड़ा के समक्ष पेश की।

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धारा 498-ए और धारा 323 के अनुसार-

यदि विवाहित महिला अपने पति या उनके रिश्तेदारों पर क्रूरता या किसी मानसिक, शारीरिक या फिर अन्य तरह से प्रताड़ित किया जाता है तो उस महिला की शिकायत पर इस धारा के तहत केस दर्ज किया जाता है इस धारा के तहत अपराध को गंभीर माना गया है। इसमें दोषी पाए जाने पर अधिकतम तीन साल की सजा तक का प्रावधान है।

क्या है धारा 323-

धारा 323 के अनुसार, जो भी व्यक्ति जानबूझ कर किसी को स्वेच्छा से चोट पहुंचाता है, उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या एक हजार रुपए तक का जुर्माना या दोनों के साथ दंडित किया जा सकता है।

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