Madhya Pradesh High Court मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने गुरुवार को उस याचिका का विरोध किया, जिसमें एक पूर्व महिला जज ने अपने यौन उत्पीड़न और इस आधार पर ट्रांसफर की बात कही है. महिला जज ने यह भी कहा कि यौन उत्पीड़न की शिकायत करने के बाद उनके ऊपर इस्तीफा देने का दबाव बनाया गया जिसके चलते उन्हें नौकरी छोड़नी पड़ी. अब इस पूर्व महिला जज ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में अपनी नौकरी की बहाली की मांग की है.
Supreme Court सर्वोच्च न्यायालय में इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति नागेश्वर राव और जस्टिस बीआर गवई की बेंच कर रही है.
‘यौन उत्पीड़न के आरोप गलत’-
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि शिकायतकर्ता की तरफ से लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोप गलत पाए गए हैं. उन्होंने कहा कि यौन उत्पीड़न की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस आर भानुमति, बॉम्बे हाई कोर्ट की पूर्व जज जस्टिस मंजुला चेल्लूर और बॉम्बे हाई कोर्ट के तब के ही सीनियर एडवोकेट और अब एटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल को मिलाकर एक कमेटी बनी थी.
SOLICITOR GENERAL तुषार मेहता के मुताबिक, इस कमेटी ने साल 2017 नें राज्यसभा में अपनी रिपोर्ट पेश की थी. जिसमें आरोपी जज को निर्दोष बताया गया था. मेहता ने कहा, “अगर कमेटी की रिपोर्ट्स पर नजर डालेंगे तो ऐसी दो रिपोर्ट पेश की गईं. जिनमें यौन उत्पीड़न की बात को नकार दिया गया. किसी महिला के खिलाफ यौन उत्पीड़न बहुत ही गंभीर अपराध होता है. और अगर इस तरह के आरोप गलत पाए जाते हैं, तो यह भी एक गंभीर मुद्दा है.”
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट की बेंच को यह भी बताया कि यौन उत्पीड़न के आरोप के मामले में कमेटी ने सभी पहलुओं की विस्तृत जांच की थी. जिसके बाद ही रिपोर्ट्स पेश की गईं. ऐसे में शिकायतकर्ता का ये कहना कि वो यौन उत्पीड़न की वजह से दबाव में थीं, सही नहीं है. मेहता ने कहा कि इस मामले का फैसला जिला स्तर पर न्यायपालिका के प्रशासन पर गहरा असर डालेगा.
दूसरी तरफ शिकायतकर्ता की पैरवी Senior Advocate वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने की. उन्होंने कहा कि यह बात सही है कि पूर्व महिला जज Female Judge ने इस्तीफा दिया और उसे स्वीकार किया गया, लेकिन यह इस्तीफा एक दबाव में दिया गया. जयसिंह ने आगे कहा कि इस्तीफा देने के लिए महिला को मजबूर किया गया. उन्हें अपनी नौकरी और अपनी बेटी के भविष्य के बीच फैसला करना पड़ा.
जज कहां अपनी शिकायत दर्ज कराए?
Senior Advocate इंदिरा जयसिंह ने बेंच को बताया कि महिला का ट्रांसफर, ट्रांसफर पॉलिसी के खिलाफ था. उन्होंने यह भी कहा कि यौन उत्पीड़न की जांच के लिए जो कमेटी बनाई गई, उस कमेटी ने ना तो सबूत इकट्ठा किए और ना ही आरोपियों का मामले से जुड़े अन्य लोगों से सामना कराया. जयसिंह ने कोर्ट को आगे बताया कि कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की शिकायत के लिए निचली अदालतों में महिला जज के पास कोई उचित मंच नहीं है. सिर्फ कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए कमेटी बनी हुई है. जजों के लिए ऐसा कोई स्थाई इंतजाम नहीं है.
उन्होंने आगे कहा कि वो न्यायपालिका के लिए चिंतित हैं. लेकिन वो इस बात से भी चिंतित हैं कि न्यायपालिका में महिलाओं की स्थिति कैसी है. जयसिंह ने कहा कि न्यायपालिका में महिलाओं के यौन उत्पीड़न को देखना दुखद है और उनकी शिकायतों को सुनने के लिए कोई व्यवस्था तक मौजूद नहीं है.
आखिर एक जज अपनी शिकायत कहां दर्ज कराए? न्यायपालिका से जुड़ी किसी महिला के यौन उत्पीड़न का ये पहला मामला नहीं है. फिलहाल इस मामले की अगली सुनवाई एक फरवरी को होगी.