Supreme Court सुप्रीम कोर्ट ने 7 दिनों के अंदर पार्क की ज़मीन ख़ाली करवाने का आदेश दिया हैं. इस मामले की सुनवाई पाकिस्तान के मुख्य न्यायधीश जस्टिस गुलज़ार अहमद की अध्यक्षता वाली ने की थी। कोर्ट में सुनवाई के दौरान कराची के प्रशासक मुर्तज़ा वहाब और शहर के कमिश्नर पेश हुए थे। जस्टिस गुलज़ार अहमद ने सुनवाई के दौरान मुर्तज़ा वहाब से पूछा कि पार्क की ज़मीन पर अवैध निर्माण कैसे हुआ? न्यूज़ एजेंसी के मुताबिक मुर्तज़ा ने जवाब में कहा कि अगर कोर्ट कोई आदेश देती है, तो वे उसका पालन करेंगे।
जस्टिस गुलज़ार ने हताशा ज़ाहिर करते हुए कहा- मैं आपके रवैये से हैरान हूं यह आपका काम है और आप लोग कोर्ट के फ़ैसले का इंतज़ार कर रहे है। यह आवासीय इलाक़ा है। क्या आप ऑफिस सिर्फ बैठने, चाय पीने और बातें करने के बाद घर वापस आने के लिए जाते हैं? आपने इस शहर के लिए क्या किया है? यह शहर बुरी तरह क्षतिग्रस्त है और इसे ठीक करने के लिए तोड़-फोड़ की जरूरत है। यह शहर बुरी तरह क्षतिग्रस्त है और इसे ठीक करने के लिए तोड़-फोड़ की जरूरत है। जहां चार लोगों के लिए एक घर है, वहां 40 परिवार रह रहे हैं। 200 गज जमीन में 8 मंजिला इमारतें खड़ी की गई हैं। यही हाल नजीमाबाद में भी है। इस शहर को जर्मनी, जापान और पोलैंड की तरह फिर से निर्माण कि ज़रूरत है।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मस्जिद के साथ कब्रिस्तान और मज़ार को हटाने का भी आदेश दिया है. कराची के जिला नगर निगम प्रशासक के अनुसार पार्क की जमीन पर मस्जिद बनी है.
न्यूज़ एजेंसी के मुताबिक मस्जिद प्रशासन परिषद के वकील ख़्वाजा शम्स ने कहा है कि ज़मीन कराची मेट्रोपॉलिटन कॉर्पोरेशन (Karachi Metropolitan Corporation) से नीलामी में खरीदी थी। उन्होंने यह भी दावा किया कि ज़मीन पर नई मस्जिद बनाई जा रही है।
बुधवार को राशिद महमूद ने प्रधानमंत्री इमरान खान और मुख्य न्यायाधीश को संबोधित करते हुए कहा, “वजीर-ए-आजम साहब मस्जिद लावारिस नहीं है। मुख्य न्यायाधीश साहब मस्जिद लावारिस नहीं है। क्या इसे मदीना की रियासत कहा जाता है? मंदिर सुरक्षित हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद को गिराने का आदेश दिया है।
पार्क की जमीन पर बनी है मस्जिद–
बता दें, सुप्रीम कोर्ट में कराची रजिस्ट्री में तारिक रोड में एक पार्क की जमीन पर मदीना मस्जिद के निर्माण और अन्य अतिक्रमणों के खिलाफ मामले की सुनवाई हुई थी. सुनवाई में कोर्ट को पता चला कि मस्जिद का निर्माण पार्क की जमीन पर किया गया है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट ने मस्जिद गिराने का आदेश दिया था.
अवैध ज़मीन पर मस्जिद की इजाज़त कैसे?
चीफ जस्टिस गुलजार अहमद की अध्यक्षता वाली बेंच में जस्टिस काजी मोहम्मद अमीन भी थे। सुनवाई के दौरान जस्टिस अमीन ने कहा था कि अवैध जमीन पर कोई प्रार्थना घर नहीं हो सकता। जस्टिस अमीन ने जोर देकर कहा था कि इस्लाम अवैध जमीन पर मस्जिदों के निर्माण की इजाजत नहीं देता है। उन्होंने यह भी कहा था कि Karachi Metropolitan Corporation को पार्क की जमीन पर मस्जिद बनाने का लाइसेंस देने का अधिकार नहीं है.