सुप्रीम कोर्ट का सरकार को निर्देश, कहा जमानत के लिए बेल अधिनियम बनाने की दी राय, सभी उच्च न्यायालयों को इस संबन्ध में रिपोर्ट पेश करने को कहा –

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सुप्रीम कोर्ट तीन न्यायाधीशों की पीठ ने केस सुनवाई के समय जमानत के लिए अलग से जमानत एक्ट पर विचार करने को कहा-

भारत के उच्चतम न्यायालय ने भारत सरकार को आपराधिक मामलों में आरोपितों की रिहाई को सरल बनाने के लिए उन्हें जमानत देने के लिए एक नया कानून बनाने पर विचार करने का निर्देश दिया है।

सर्वोच्च अदालत के इस निर्णय को इस लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण कहा जा सकता है कि ऐसे सैकड़ों विचाराधीन कैदियों में बहुत से सामाजिक कार्यकर्ता, नेता और पत्रकारों की जमानत याचिकाएं लम्बे समय से लंबित हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाई कोर्टो और राज्यों व केंद्र-शासित प्रदेशों की सरकारों से चार महीने में इस संबंध में स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा।

समाचार एजेंसी पीटीआइ के अनुसार न्यायमूर्ति एसके कौल और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की पीठ ने सोमवार को कई दिशा-निर्देश जारी करते हुए कहा कि जमानत याचिका को दो हफ्ते में निस्तारित किया जाना चाहिए। अग्रिम जमानत की याचिका छह हफ्ते में पूरी होनी चाहिए।

पीठ ने कहा कि जांच एजेंसियां और उनके अधिकारी आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 41-ए (आरोपित को पुलिस अधिकारी के समक्ष पेश होने का नोटिस जारी करना) का पालन करने के लिए बाध्य हैं।

अदालत ने सभी हाई कोर्टो से उन विचाराधीन कैदियों का पता लगाने को भी कहा है जो जमानत की शर्ते को पूरा करने में समर्थ नहीं हैं।

कोर्ट ने ऐसे कैदियों की रिहाई में मदद के लिए उचित कदम उठाने का भी निर्देश दिया।

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सर्वोच्च अदालत ने आरोपित की जमानत मंजूर कराने के दायित्व पूरे नहीं कर पाने की जानकारी भी कोर्ट के संज्ञान में लाने की हिदायत दी है। न्यायालय ने सीबीआइ CBI द्वारा एक व्यक्ति की गिरफ्तारी से जुड़े मामले में फैसला सुनाए जाने के दौरान ये दिशा-निर्देश जारी किए।

विजय माल्या को सजा सुनाई गई-

जहां, दूसरी तरफ सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने विजय माल्या के खिलाफ अवमानना मामले में सजा सुनाई और माल्या को चार महीने की जेल और 2000 रुपये का जुर्माना भरना को कहा। इसी के साथ मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति यूयू ललित, न्यायमूर्ति रवींद्र एस भट और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की बेंच ने विजय माल्या से 8 प्रतिशत ब्याज दर के साथ 4 करोड़ (40 मिलियन) डालर की रकम चार सप्ताह के भीतर जमा करने का आदेश भी दिया।

गौरतलब है कि 10 मार्च को इस मामले पर कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा था कि माल्या के खिलाफ सुनवाई में अब कोई प्रगति नहीं हो सकती।

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