Allahabad HC ने जमानत देने के लिए आरोपी के साथ मिलवाई पीड़िता की कुंडली, SC ने अनोखे फैसले पर स्वतः सज्ञान लेते हुए लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट में शनिवार को छुट्टी थी लेकिन यह मामला इतना महत्वपूर्ण था कि इसकी सुनवाई के लिए विशेष पीठ बैठी। सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को इस मामले पर स्वत: संज्ञान लेकर विशेष सुनवाई की और हाई कोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगते हुए टिप्पणी कि हाई कोर्ट का आदेश निजता का हनन करने वाला है।

क्या था मामला-

इस मामले में लड़की ने शिकायत दर्ज कराई थी कि लड़के ने शादी का झांसा देकर उसके साथ दुष्कर्म किया और बाद में शादी से इनकार कर दिया। इस मामले में लड़के के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज है। उसने इलाहाबाद हाई कोर्ट से जमानत मांगी है। सुनवाई के दौरान जब कोर्ट ने मौखिक तौर पर शादी करने के इरादे के बारे में पूछा तो लड़के पक्ष की ओर से कहा गया कि शादी नहीं हो सकती क्योंकि लड़की मांगलिक है। शायद ऐसा मामला पहले सुनने में नहीं आया होगा लेकिन ऐसा केस हुआ है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के ऐसे चौंकाने वाले फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी जिसमें दुष्कर्म के आरोपित को जमानत देने या न देने के लिए ज्योतिषी की रिपोर्ट मंगाई गई है। लड़की मांगलिक है कि नहीं है इसकी रिपोर्ट देखकर तय होगा कि शादी का झांसा देकर दुष्कर्म करने वाले आरोपित को जमानत दी जाए कि नहीं। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शादी का झांसा देकर दुष्कर्म करने का आरोप लगाने के एक मामले में आरोपित की जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान लखनऊ विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग को आदेश दिया है कि वह लड़की की कुंडली देख कर रिपोर्ट दे और बताए कि लड़की मांगलिक है कि नहीं।

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तीन सप्ताह में सीलबंद रिपोर्ट दी जाए – हाई कोर्ट

वहीं लड़की पक्ष की दलील थी कि लड़की मांगलिक नहीं है और शादी हो सकती है। दोनों ओर से विरोधी दावे होने पर हाई कोर्ट ने लखनऊ विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग से रिपोर्ट मांग ली। हाई कोर्ट ने विभाग से तीन सप्ताह में सीलबंद रिपोर्ट देने को कहा और अगली तारीख 26 जून लगा दी। हाई कोर्ट ने पक्षकारों से कहा था कि वे लड़की की कुंडली ज्योतिष विभाग के हेड को देंगे।

शीर्ष अदालत का इस मामले में स्वत: संज्ञान-

सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को इस मामले पर स्वत: संज्ञान लेकर विशेष सुनवाई की और हाई कोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को आदेश दिया है कि वह सुनवाई के लिए तय अगली तारीख 26 जून को केस की मेरिट के हिसाब से जमानत याचिका पर सुनवाई करे। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सभी पक्षकारों और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस भी जारी किया है।

हाई कोर्ट के आदेश पर लगे रोक – सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता

सुप्रीम कोर्ट में शनिवार को छुट्टी थी लेकिन यह मामला इतना महत्वपूर्ण था कि इसकी सुनवाई के लिए विशेष पीठ बैठी। जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस पंकज मित्तल की पीठ ने सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के आदेश पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए अदालत में मौजूद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा आपने इस मामले को देखा। इस पर मेहता ने कि ये परेशान करने वाला है। मेहता ने पीठ से हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध किया।

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सुप्रीम कोर्ट पीठ ने हाई कोर्ट के आदेश पर की टिप्पणी-

सुप्रीम कोर्ट पीठ ने हाई कोर्ट के आदेश पर टिप्पणी करते हुए कहा कि किस संदर्भ में यह आदेश दिया है। शिकायतकर्ता लड़की की ओर से पेश वकील ने कहा कि हाई कोर्ट के सामने लंबित केस में इसका संदर्भ था। वहां लड़की के मांगलिक होने न होने का मुद्दा था तभी कोर्ट ने ये आदेश दिया। कानून में कोर्ट को विशेषज्ञ की राय मंगाने का अधिकार है। वकील ने यह भी कहा कि ज्योतिष एक विज्ञान है।

लखनऊ विश्वविद्यालय में उसकी डिग्री दी जाती है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ज्योतिष विज्ञान है या नहीं यहां हम उस पर विचार नहीं कर रहे। यहां सिर्फ मसला यह है कि क्या न्यायिक रूप से विचार किए जाते वक्त यह कोई मुद्दा हो सकता है।

शिकायतकर्ता लड़की के वकील ने यह भी कहा कि शादी की कुछ रस्में जैसे रोका आदि हो चुका था उसके बाद ये मुद्दा उठा। कोर्ट ने मामले पर विचार करने के बाद आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी और हाई कोर्ट से अगली सुनवाई पर मेरिट के आधार पर जमानत अर्जी पर सुनवाई करने को कहा है।

सुप्रीम कोर्ट मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए टिप्पणी कि हाई कोर्ट का आदेश निजता का हनन करने वाला है। सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को इस मामले पर स्वत संज्ञान लेकर विशेष सुनवाई की और हाई कोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को आदेश दिया है कि वह सुनवाई के लिए केस की मेरिट के हिसाब से जमानत याचिका पर सुनवाई करे।

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