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वकीलों के लिए ₹16,665 नामांकन शुल्क को चुनौती देने वाली याचिका पर उप्र बार काउंसिल को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों के लिए ₹16,665 नामांकन शुल्क को चुनौती देने वाली याचिका पर प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने नोटिस जारी किया और याचिका को दो सप्ताह बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।

उच्चतम न्यायालय ने वकील के रूप में नामांकन के लिए अधिक शुल्क को चुनौती देने वाली याचिका पर शुक्रवार को उत्तर प्रदेश बार काउंसिल को नोटिस जारी किया।

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला तथा न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने बार को नोटिस जारी किया और मामले को दो सप्ताह के बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अधिवक्ता के रूप में पंजीकरण के लिए अधिक शुल्क को चुनौती देने वाली याचिका पर उत्तर प्रदेश बार काउंसिल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। शीर्ष अदालत ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से विधि संकाय के एक विधि स्नातक की पढ़ाई पूरी करने वाले छात्रा की याचिका पर यह आदेश दिया है। याचिका में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश बार काउंसिल में बतौर वकील पंजीकरण के लिए 16665 रुपये है और यदि कोई एक ही दिन में पंजीकरण प्रक्रिया पूरी कराना चाहता है तो उसे 5000 रुपये अतिरिक्त भुगतान करना होता है।

जब पीठ ने याचिकाकर्ता से पूछा कि उसके अनुसार कितना शुल्क उचित रहेगा, तो विधि स्नातक ने जवाब दिया कि अधिवक्ता अधिनियम के अनुसार 750 रुपये का शुल्क लिया जाना चाहिए।

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केस टाइटल – कुलदीप मिश्रा बनाम यूपी बार काउंसिल

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