इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में देश भर में फर्जी जनशक्ति और भर्ती एजेंसीज के प्रसार पर ध्यान आकर्षित किया। उच्च न्यायालय ने कहा कि आजकल, देश में हर जगह, ऐसी फर्जी एजेंसियां तेजी से बढ़ रही हैं और सरकारी नौकरी के अवसरों और विदेशी रोजगार का झूठा वादा करके बेरोजगार युवाओं को शिकार बना रही हैं।
न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान की पीठ ने कहा कि युवा भी छिपे हुए एजेंडे को जाने बिना ऐसे झूठे आकर्षक प्रस्तावों का शिकार हो जाते हैं और अक्सर बड़ी रकम चुकाते हैं। देश भर में सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर बढ़ रही फेक जॉब एजेंशियों को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चिंता जताई है। उच्च न्यायालय ने मशरूम की तरह फल-फूल रही फेक जॉब एजेंशियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कहीं हैं। अदालत ने कहा, ये जॉब एजेंसीज युवाओं को सरकारी नौकरी दिलाने के बड़े-बड़े दावे करते हैं, उनसे बड़ी रकम ऐंठतें हैं और पैसे निकलते ही ये कंपनियां रातों-रात गायब भी हो जाती हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ये बातें सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने के आरोपी हिमांशु कनौजिया की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान कहीं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान की सिंगल बेंच के सामने इस मामले पेश किया गया। न्यायमूर्ति ने कहा, देश भर में नौकरी देने के नाम पर झूठी एजेंसीज फैल रही है, युवाओं को सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर ठग रही हैं। साथ ही ठगी करने के बाद ये कंपनियां रातों-रात गायब भी हो जाती हैं। इन कंपनियों से सख्ती से निपटने की जरूरत हैं।
अदालत ने कहा “बेरोजगारी” शब्द ही इस देश के युवाओं के भविष्य के लिए मौत की घंटी होगा। ‘बेरोजगारी’ शब्द की गूंज से बचने के लिए हर व्यक्ति अपने पैरों पर खड़ा होना चाहेगा। युवाओं द्वारा रोजगार के लिए इस तरह की अथक खोज का कुछ वर्गों/व्यक्तियों द्वारा फायदा उठाया जाता है ”।
उच्च न्यायालय ने अपराध की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए आवेदक हिमांशु कनौजिया को बेल देने से मना कर दिया है।
मामला क्या है?
आवेदनकर्ता हिमांशु कनौजिया पर आरोप है कि उसने एक व्यक्ति को नौकरी दिलाने के नाम पर करीब 5,60,000 रूपये की ठगी की है। कुल पैसे में से उसने 1,60,000 रूपये उसने अपने बैंक खाते में, तो वहीं 4,00,000 रूपये कैश लिया हैं। FIR के अनुसार, हिमांशु कनौजिया ने व्यक्ति को झूठा अप्वाइंटमेंट लेटर भी दिया था। कनौजिया के खिलाफ आईपीसी के सेक्शन 406 (आपराधिक विश्वासघात), 420 (धोखाधड़ी और बेईमानी से किसी व्यक्ति की संपत्ति लेना), 467 (डॉक्यूमेंटस की जालसाजी, जैसे-गलत वसीयत बनाना आदि), 468 (गलत डॉक्यूमेंटस बनाकर धोखा देना), 471 (गलत डॉक्यूमेंटस को असली के रूप में प्रयोग करने पर) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
अदालत ने कहा कि ऐसी एजेंसियां अक्सर या तो पीड़ितों से ली गई रकम लेकर रातों-रात गायब हो जाती हैं या फिर उन्हें फर्जी नियुक्ति पत्र जारी कर देती हैं।
न्यायमूर्ति चौहान ने कहा, “मेरे दृढ़ विचार में, कठोर प्रभाव वाले इन सफेदपोश अपराधों से सख्ती से निपटा जाना चाहिए और दोषियों को कड़ी सजा दी जानी चाहिए।”
एकल-न्यायाधीश पीठ के समक्ष हिमांशु कनौजिया नामक व्यक्ति द्वारा आपराधिक जमानत याचिका दायर की गई थी। कनौजिया के खिलाफ आरोप था कि उसने मुखबिर को रोजगार के वादे का लालच दिया और कथित तौर पर उसके खाते में 1,60,000 रुपये और अतिरिक्त 4,00,000 रुपये नकद प्राप्त किए। हालाँकि, मुखबिर ने दावा किया कि कनौजिया ने केवल एक जाली नियुक्ति पत्र प्रदान किया।