लक्ष्मण टीला में अवैध निर्माण को हटाने का आदेश बरकरार, जिलाधिकारी तत्काल कदम उठाये और ASI के 2016 व 2023 के आदेश का करे पालन-HC

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इलाहाबाद हाई कोर्ट लखनऊ खंडपीठ ने लक्ष्मण टीला पर टीले वाली मस्जिद के विकास के नाम पर किए गए अवैध निर्माण पर राज्य सरकार और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) से जवाब मांगा है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि याचिका के लंबित होने से अवैध निर्माण हटाने संबंधी एएसआइ के पहले के 2016 और 2023 आदेश पर कोई असर नहीं होगा। जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि मस्जिद को विस्तार देने के लिए अवैध अतिक्रमण किया गया। अतिक्रमण को हटाया जाए।

न्यायमूर्ति राजन राय व न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की पीठ ने ऋषि कुमार त्रिवेदी और अन्य की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई की। याचिका में कहा गया है कि 20 सितंबर 2016 को एएसआइ ने उक्त अवैध निर्माण के ध्वस्तीकरण का आदेश पारित। इस मामले में हाईकोर्ट ने बीती 29 मई को हुयी सुनवाई में मुस्लिम पक्ष को झटका देते हुये पुरातत्व विभाग के आदेश को बरकरार रखा है। इससे स्पष्ट हो गया है कि जिलाधिकारी पुरातत्व विभाग के आदेशों का पालन करते हुये टीले वाली मस्जिद में विकास के नाम पर हुये अवैध निर्माण को हटा सकते है ।

मामले की सुनवाई के लिए वरिष्ट अधिवक्ता हरी शंकर जैन ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से याचिकाकर्ता के तरफ से पक्ष रखा।

लखनऊ स्थित लक्ष्मण टीला के विवादित परिसर में बनी टीले वाली मस्जिद के विकास एवं सुन्दरीकरण के नाम पर हुये अवैध निर्माण के ध्वस्तीकरण और अवैध गतिविधियों को रोकने के लिये पुरातत्व विभाग के आदेशों के पालन न होने का मामला गरमाता जा रहा है।

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इस न्यायिक लड़ाई के बीच अखिलभारत हिन्दू महासभा ने चेतावनी देते हुये कहा कि लक्ष्मण टीला के विवादित परिसर में बनी टीले वाली मस्जिद के विकास के नाम पर हुये अवैध निर्माण को हटाने की मांग को लेकर लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद सड़कों पर उतरने की तैयारी शुरू कर चुकी है।

मालूम हो कि टीले वाली मस्जिद के विकास के नाम पर पुरातत्व विभाग की बिना अनुमति के हरे-भरे पेड़ों को काटकर पक्का निर्माण करवाया गया, जिसको हटाने के लिये पुरातत्व विभाग पिछले लगभग नौ वर्षों में दो बार आदेश भी जारी कर चुका है, लेकिन उस पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुयी है। जिसके परिणामस्वरूप ऋषि कुमार त्रिवेदी एवं अन्य लोगों को हाईकोर्ट के समक्ष पीआईएल संख्या 409 ऑफ 2024 दाखिल करनी पड़ी। 29 मई 2024 को हुई सुनवाई के दौरान विपक्षी संख्या – 11 मस्जिद के मौलाना की ओर से वरिष्ट अधिवक्ता जयदीप नारायण माथुर और अधिवक्ता मुन्नवर सुल्तान उपस्थित हुये अधिवक्ता ने इस केस में याचिकाकर्ताओं का व्यक्तिगत हित नहीं हो सका बताते हुये मौजूदा पीआईएल को खारिज करने की मांग की और मामले में काउंटर एफिडेविट फाइल किया। जिस पर कोर्ट ने इस मांग को खारिज करते हुये अगली सुनवाई के लिये नौ जुलाई की तिथि नियत कर दी।

दूसरी तरफ टीले वाली मस्जिद के विकास के नाम पर हुये अवैध निर्माण को हटाने के लिये पुरातत्व विभाग के आदेशों के पालन में बरती रही लापरवाही का आरोप लगाते हुये हिन्दू महासभा ने आज साफ किया कि जब हाईकोर्ट ने 29 मई के अपने आदेश में स्पष्ट कर दिया है कि केस की सुनवाई का आदेश के पालन में कोई बाधा नहीं बनेगा, तो ऐसे में जिलाधिकारी को तत्काल कदम उठाते हुये अवैध निर्माण को हटवायें और अवैध गतिविधिया को रोके अन्यथा हिन्दू महासभा आदेश का पालन करवाने के लिये सड़कों पर उतरने के लिये बाध्य होगी।

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कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिये 9 जुलाई 2024 की तिथि नियत कर दी।

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