नीट सुपर स्पेशियलिटी कोर्स (NEET SS Course) में दाखिले के लिए एग्जाम पैटर्न में आखिरी वक्त में हुए बदलाव को लेकर माननीय सर्वोच्च अदालत ने सोमवार को केंद्र सरकार को जमकर लताड़ लगाई
माननीय सर्वोच्च अदालत Hon`ble Supreme Court of India ने सोमवार को केंद्र सरकार को जमकर फटकार लगाई. ये फटकार पीजी डॉक्टरों के नीट सुपर स्पेशियलिटी कोर्स (NEET SS Course) में दाखिले के लिए एग्जाम पैटर्न में आखिरी वक्त में हुए बदलाव को लेकर लगाई गई. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बेहद सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, ‘सत्ता के खेल में युवा डॉक्टरों के साथ फुटबॉल की तरह बर्ताव करना बंद किया जाए.’
सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि डॉक्टरों को ‘असंवेदनशील ब्यूरोक्रेट्स’ HEARTLESS BUEROCRATES की दया के सहारे नहीं छोड़ा जा सकता. एग्जाम पैटर्न में बदलाव के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, नेशनल मेडिकल कमीशन NATIONAL MEDICAL COMMISSION (NMC) और नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन NATIONAL BOARD OF EXAMINATION (NBE) को फटकारा.‘डॉक्टरों का जीवन असंवेदनशील ब्यूरोक्रेट्स के हाथ में नहीं देंगे’–
न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की बेंच ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, ‘सत्ता के खेल में इन युवा डॉक्टरों को फुटबॉल मत समझिए. ये समय, पढ़ाई और परीक्षा उनके करियर के लिए बहुत जरूरी है. अब आप आखिरी वक्त में बदलाव नहीं कर सकते.’ बेंच ने कहा, ‘हम इन युवा डॉक्टरों का जीवन कुछ असंवेदनशील ब्यूरोक्रेट्स HEARTLESS BUEROCRATES के हाथ में नहीं आने देंगे.’
इस दौरान नेशनल मेडिकल कमीशन NATIONAL MEDICAL COMMISSION (NMC) की ओर से पेश हुए वकील गौरव शर्मा से न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने पूछा, ‘एनएमसी क्या कर रही है? हम डॉक्टरों के जीवन से निपट रहे हैं. आप 23 जुलाई को एग्जाम के लिए नोटिफिकेशन जारी करते हैं और 31 अगस्त को पैटर्न बदल देते हैं. ये क्या हो रहा है? उन्हें 13 और 14 नवंबर को एग्जाम में बैठना है.’
‘आखिरी वक्त में बदलाव की क्या जरूरत थी?’
वहीं, नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन NATIONAL BOARD OF EXAMINATION (NBE) की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट मनिंदर सिंह ने कहा कि उन्हें जवाब दाखिल करने के लिए सोमवार तक का वक्त दिया जाए. उन्होंने ये भी बताया कि एग्जाम पैटर्न में बदलाव होने से छात्रों को होने वाली परेशानियों के बारे में वो अवगत थे. इस पर कोर्ट ने कहा, ‘फिर एग्जाम के लिए नोटिफिकेशन क्यों जारी किया गया? क्या ये बदलाव अगले साल नहीं हो सकता था? छात्र सुपर स्पेशियलिटी कोर्स की तैयारी महीनों पहले से शुरू कर देते हैं. आखिरी समय में बदलाव करने की जरूरत क्या थी?’
इसके बाद सीनियर एडवोकेट मनिंदर सिंह ने बताया कि एग्जाम पैटर्न में बदलाव की तैयारी 2018 से चल रही थी. उन्होंने अपना जवाब दाखिल करने के लिए एक हफ्ते का वक्त मांगा. सुप्रीम कोर्ट ने समय देते हुए कहा, ‘हम आपकी बात सुनने को तैयार हैं, लेकिन अधिकारियों को बता दें कि जिस तरह से आखिरी वक्त में पैटर्न बदला गया है, उससे हम संतुष्ट नहीं है. हम आपको नोटिस दे रहे हैं और अगर हम आपके जवाब से सहमत नहीं हुए तो हम फिर आपसे निपटेंगे.’
‘भ्रमित हो सकते हैं युवा डॉक्टर’–
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा, ‘सिर्फ इसलिए कि किसी के पास शक्ति है, आप इसका किसी भी तरह इस्तेमाल नहीं कर सकते. जब आपने जुलाई में नोटिफिकेशन जारी कर दिया था, तो अगस्त में पैटर्न बदलने की क्या जरूरत थी. आप केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और एनएमसी से बात करिए.’ कोर्ट ने ये भी कहा कि सरकार पहले अपना घर दुरुस्त करे.
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ‘आपको युवा डॉक्टरों के साथ संवेदनशीलता से पेश आना चाहिए.’ वहीं, न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा, ‘इन युवा डॉक्टरों के लिए पढ़ाई का पैटर्न सवालों के पैटर्न पर डिपेंड करता है. अगर आप आखिरी वक्त में बदलाव करेंगे तो इससे ये भ्रमित हो सकते हैं.’
क्या है मामला?
सुप्रीम कोर्ट उन 41 पोस्ट ग्रेजुएट डॉक्टरों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने एग्जाम का नोटिफिकेशन जारी होने के बाद एग्जाम पैटर्न में बदलाव करने के फैसले को चुनौती दी थी. युवा डॉक्टरों का कहना है कि वो पिछले तीन साल से चले आ रहे पैटर्न के हिसाब से अपनी तैयारी कर रहे थे. याचिका के मुताबिक, पुराने एग्जाम पैटर्न के हिसाब से 60% नंबर सुपर स्पेशियलिटी कोर्स से और बाकी 40% नंबर दूसरे कोर्स से दिए जाते हैं. जबकि 31 अगस्त को जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक, अब 100% मार्क्स जनरल मेडिसिन से जुड़े सवालों पर दिए जाएंगे.