अडानी ग्रुप पर अमेरिका में लगे ताजा आरोपों का मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है। याचिका में अदाणी ग्रुप के खिलाफ जांच की मांग की गई और इसकी कानूनी स्थिति पर भी चर्चा की गई।
अडानी ग्रुप Adani Group पर लगे रिश्वत के आरोप अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुँच गए हैं। एक नई याचिका में भारतीय एजेंसियों से इस मामले की जांच की मांग की गई है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि अमेरिकी अदालत American Court का अभियोग और एसईसी (SEC) की शिकायत में गौतम अडानी Gautam Adani और उनके सहयोगियों द्वारा भारतीय सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने के गंभीर आरोप लगाए गए हैं, जिन्हें भारतीय जांच एजेंसियों द्वारा गंभीरता से जांचा जाना चाहिए।
यह याचिका सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता विशाल तिवारी द्वारा दायर की गई है। विशाल तिवारीवही अधिवक्ता हैं जिन्होंने हिंडनबर्ग रिपोर्ट Hidenberg Reports के बाद अडानी ग्रुप के खिलाफ दायर की गई याचिकाओं का नेतृत्व किया था। नई याचिका में आरोप लगाया गया है कि अडानी ग्रुप द्वारा किए गए कथित भ्रष्टाचार के कृत्य “गंभीर” हैं और इनकी जांच भारतीय एजेंसियों द्वारा किए जाने की आवश्यकता है ताकि देश की संप्रभुता और आर्थिक सुरक्षा बनी रहे।
SEBI पर उठे सवाल, जांच के परिणामों की मांग
याचिका में भारतीय बाजार नियामक संस्था SEBI के कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए गए हैं। याचिका में यह तर्क दिया गया है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा अडानी ग्रुप पर जांच के लिए मार्च 2023 में SEBI को आदेश देने के बावजूद जांच के परिणामों का खुलासा अब तक नहीं किया गया है, जिससे निवेशकों का विश्वास कम हो रहा है। याचिका में मांग की गई है कि SEBI की जांच के निष्कर्षों को सार्वजनिक किया जाए ताकि निवेशकों का विश्वास फिर से बहाल किया जा सके।
मार्च 2023 में, सुप्रीम कोर्ट Supreme Court ने SEBI को आदेश दिया था कि वह अडानी ग्रुप के खिलाफ स्टॉक की कीमतों में हेरफेर, सिक्योरिटीज कांट्रैक्ट रूल्स का उल्लंघन और संबंधित पक्षों के लेन-देन की जानकारी ना देने के आरोपों की जांच करें। लेकिन अब तक SEBI की जांच की कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है, जिससे निवेशकों के बीच असमंजस और संदेह पैदा हो गया है।
अमेरिकी अदालत के आदेश में रिश्वतखोरी का आरोप
याचिका में अमेरिकी अदालत के अभियोग का हवाला भी दिया गया है, जिसमें गौतम अदानी, सागर अदानी और वनीत जैन के खिलाफ रिश्वत देने के आरोप लगाए गए हैं। अमेरिकी अदालत के अनुसार, अडानी ग्रुप ने भारतीय सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने के लिए $265 मिलियन (लगभग ₹2236 करोड़) का प्रस्ताव किया था।
अडानी ग्रुप Adani Group पर आरोप है कि उन्होंने सरकार के अधिकारियों से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात की और उन्हें रिश्वत देने की पेशकश की। इसके अलावा, याचिका में यह भी दावा किया गया है कि अदानी और उनके सहयोगियों ने अमेरिकी जांच के बारे में बाजार और निवेशकों को गुमराह किया। अमेरिकी अदालत के आदेश के अनुसार, गौतम अदानी को मार्च 2023 में अमेरिकी न्याय विभाग की जांच के बारे में जानकारी थी, लेकिन अदानी ग्रीन ने मार्च 2024 में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) को भेजे गए एक पत्र में यह दावा किया कि उन्हें चल रही जांच के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।
अडानी ग्रुप ने किया आरोप का खंडन
अडानी ग्रुप ने इस आरोप का खंडन किया है। समूह के CFO ने कहा कि अमेरिकी जांच के बारे में कुछ disclosures पहले ही किए जा चुके हैं, और उन्होंने यह भी कहा कि अडानी ग्रुप ने कभी भी किसी भी प्रकार की भ्रष्टाचार या रिश्वतखोरी में लिप्त होने की कोशिश नहीं की है।