कर्नाटक हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि छापेमारी के दौरान वेश्यालय में मिले ग्राहक पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है।
न्यायमूर्ति एम नागरपासना की अगुवाई वाली एकल-न्यायाधीश पीठ ने बाबू एस द्वारा दायर एक याचिका की अनुमति दी और अनैतिक यातायात रोकथाम अधिनियम, 1956 की धारा 3, 4, 5, और 6 और धारा 370 IPC के तहत उनके खिलाफ दर्ज कार्यवाही को रद्द कर दिया।
अभियोजन पक्ष के अनुसार 23 सितंबर, 2021 को पुलिस ने अधिनियम और IPC के तहत दंडनीय अपराधों के लिए विश्वसनीय जानकारी के आधार पर शिकायत दर्ज की और कार्यवाही शुरू की गई। याचिकाकर्ता एक ग्राहक था जिसे 23 सितंबर, 2021 को परिसर की तलाशी के दौरान खोजा गया था।
पीठ के अनुसार, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि जब प्रतिवादी पुलिस ने तलाशी ली तो याचिकाकर्ता वेश्यालय का ग्राहक था।
इस न्यायालय ने कई मामलों में लगातार यह माना है कि वेश्यालय में ग्राहक को आपराधिक कार्यवाही में नहीं फंसाया जा सकता है।
यह सीआरएल.पी.सं.1757/2022 में बरथ एसपी बनाम कर्नाटक राज्य के मामले में उच्च न्यायालय के फैसले पर भी निर्भर था, जिसे 24 मार्च, 2022 को निपटाया गया था।
केस टाइटल – बाबू एस बनाम स्टेट बॉय केन्गेरी पुलिस स्टेशन बेंगलुरु
केस नंबर – क्रिमिनल पेटिशन नंबर 2119 ऑफ़ 2022
कोरम – न्यायमूर्ति एम नागरपासना